
विजय एस. गौर-भोपाल। सूबे के सरकारी महकमों में कार्यरत साढ़े तीन लाख से ज्यादा आउटसोर्स कर्मचारियों में आगे काम करने को लेकर चिंता बढ़ गई है। इसकी वजह वित्त विभाग का फरमान है, जिसके जरिए विभाग प्रमुखों के आउटसोर्स करने के अधिकार समाप्त कर दिए गए हैं। अभी तक जरूरत के हिसाब से विभाग प्रमुख ही अपने स्तर पर आउटसोर्स कर्मचारी रख लेते थे, लेकिन अब वित्त विभाग की अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है।
एमएसएमई द्वारा 13 जनवरी 2024 को जारी आदेश में सीधे सेडमेप से बिना निविदा कार्य लेने की अनुमति प्रदान की गई है। इससे विभागों के प्रमुख जरूरत के अनुसार आउटसोर्स कर्मचारी सेडमेप के माध्यम से रख रहे हैं। इसको वित्त विभाग ने समाप्त करते हुए 4 जून 2024 आदेश जारी किया है। इससे सभी विभागों और आउटसोर्स कर्मचारियों की चिंता बढ़ा दी हैं।
आउटसोर्स के भरोसे चल रहे ऑफिस
रेगुलर स्टाफ की कमी होने से लगभग सारे शासकीय कार्यालय इन्हीं आउटसोर्स कर्मचारियों के भरोसे चल रहे हैं। इनमें भी सबसे ज्यादा तादाद डाटा एंट्री ऑपरेटर्स की है, जो सेडमेप के माध्यम से विभिन्न कार्यालयों में रखे गए हैं। इनकी तादाद करीब डेढ़ लाख से ज्यादा है।
वित्त विभाग से अनुमति लेंगे
इससे पूर्व से कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारी प्रभावित नहीं होंगे, उनकी सेवाएं बरकरार रहेंगे। अब आगे से आउटसोर्स के पूर्व विभाग प्रमुखों को वित्त विभाग से अनुमति लेनी होगी। -मनीष सिंह, प्रमुख सचिव, वित्त विभाग
सर्विस सिक्योरिटी जरूरी
वित्त विभाग के नए आदेश से आउटसोर्स करने में समय ज्यादा लगेगा, साथ ही दूसरी परेशानियां आएंगी। हमारी मांग है कि नए रिक्रूटमेंट के बाद भी सर्विस सिक्योरिटी सुनिश्चित की जाए। -प्रकाश चौधरी, अध्यक्ष, आउटसोर्स कर्मचारी