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परदेशी परिंदों का नया डेस्टीनेशन बना सेमरी जलाशय

हजारों मील का सफर तय करके रायसेन जिले की बेगमगंज तहसील तक पहुंचे परिंदे

बेगमगंज। धीरे धीरे तापमान में ठंडक बढ़ने के साथ ही रात का मौसम सर्द होना शुरू होते ही बेगमगंज का नजदीकी सेमरी जलाशय परदेसी परिंदों का बसेरा बन गया है। यहां यूरोप से लेकर सुदूर साइबेरिया तक छठवीं बार परिंदें आए हैं। इससे यह डैम बर्ड वाचिंग के लिए पक्षी विशेषज्ञों का नया केंद्र बन गया है। ज्ञात हो कि हजारों किमी की यात्रा कर पिछले करीब 10 साल से क्षेत्र के तालाबों में अपना डेरा डालते आ रहे हैं, जोूकि गर्मी शुरू होते ही वापसी की राह पकड़ लेते है। हालांकि यह सिलसिला साल दर साल बढ़ने से अब दो दर्जन से ज्यादा प्रजातियों के परिंदें यहां सर्दियां बिता रहे हैं।

आने वाले प्रवासी पक्षियों को शीतल वातावरण को सहन करने की क्षमता होती है और इन्हें इसकी आदत पड़ जाती है। यही वजह है कि तापमान घटते ही भोपाल की झील की तरह क्षेत्र के जलाशयों में भी इन्हें देखा जा सकता है। विशेषकर सेमरी जलाशय के अलावा चांदोड़ा, तुलसीपार, कीरतपुर, जैतपुरा, तुलसीपार सहित अन्य स्थानों पर प्रवासी पक्षियों की अठखेलियां सुबह के समय देखने भीड़ उमड़ रही है।

प्रदेश में बना विदेशी पक्षियों का नया बसेरा

अक्टूबर नवम्बर से इन मेहमानों का आना शुरू हो जाता है, जो दिसंबर की शुरुआत तक पूरा होता है। इन नए मेहमानों ने इस बार विशेष तौर पर सेमरी जलाशय में डेरा जमाया है, जो कि सागर भोपाल मार्ग पर खानपुर ढाबे से करीब 13 किमी दूरी पर है। वहीं सुल्तानगंज टप्पा का चांदोड़ा, नगर से करीब 12 किमी.

तय करते हैं लंबा सफर

यह प्रवासी पक्षी भारत के लेह, लद्दाख, हिमालय और रशिया के साईबेरिया से प्रवास शुरू करके हिमाचल प्रदेश, कश्मीर, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश के जलीय क्षेत्रों से होते हुए मप्र आते हैं, यहां से ठंड खत्म होते-होते मार्च अप्रैल तक वापसी होने लगती है।

पक्षी विशेषज्ञ का मत

बर्ड्स संस्था सालेहा परिसर भोपाल के पक्षी विशेषज्ञ मो. खालिद के अनुसार ज्यादातर हिमालय एवं तराई वाले क्षेत्रों से प्रवास करके पक्षी आए हैं। जबकि यूरोप एवं मध्य एशिया से आने वाले प्रवासी पक्षी बर्फबारी होने से सर्दी बढ़ने के साथ ही यहां आना शुरू हुए हैं।

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