
वॉशिंगटन। अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुश विलमोर को स्पेस स्टेशन ले जाने वाला स्टारलाइनर कैप्सूल धरती पर सुरक्षित लैंड हो गया है। 3 महीने बाद 3 बड़े पैराशूट और एयरबैग की मदद से स्पेस क्राफ्ट की सुरक्षित लैंडिंग हो गई। भारतीय समयानुसार सुबह 3:30 बजे यह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से अलग हुआ था। 7 सितंबर की सुबह 9.31 बजे अमेरिकी प्रांत न्यू मेक्सिको के व्हाइट सैंड्स स्पेस हार्बर (रेगिस्तान) में लैंड हुआ।
सुनीता विलियम्स के बीना आया स्पेस क्राफ्ट
अंतरिक्ष यान में आई समस्या के चलते यह दोनों अंतरिक्ष यात्रियों के बगैर ही धरती पर वापस आया है। इसका मतलब है कि सुनीता विलियम्स और बुरी विल्मोर को अभी पांच से छह महीने अंतरिक्ष स्टेशन पर ही बिताने होंगे। दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को फरवरी 2025 में स्पेसएक्स क्रू-9 से वापस लाने की योजना है।
नासा की वेबसाइट के मुताबिक, स्टारलाइनर (स्पेस क्राफ्ट) ने करीब 8.58 पर अपने डीऑर्बिट बर्न को पूरा किया। इस बर्न के बाद उसे जमीन पर उतरने में करीब 44 मिनट लगे। लैंडिंग के समय वायुमंडल में इसका हीटशील्ड एक्टिव था। लैंड होने से ठीक 3 मिनट पहले स्पेसक्राफ्ट के 3 पैराशूट खुल गए।
स्टारलाइनर कैप्सूल को खाली क्यों भेजा गया ?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अंतरिक्ष यान में खराबी की वजह से पहले भी दो दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। कोलंबिया स्पेस शटल दुर्घटना एक फरवरी 2003 में जबकि चैलंजर दुर्घटना जनवरी 1986 में हुई थी। इन दोनों दुर्घटनाओं में कई अंतरिक्षयात्रियों की मौत हो गई थी जिसमें भारतवंशी कल्पना चावला भी शामिल थीं। इसी वजह से स्टारलाइनर कैप्सूल खाली लैंड कराया गया।
किस वजह से लीक हुआ हीलियम
स्टारलाइनर की लैंडिंग के बाद नासा और बोइंग की टीम इसे वापस असेंबली यूनिट में लेकर जाएगी। वहां पर उसकी जांच की जाएगी। ये पता किया जाएगा कि आखिर किस वजह से हीलियम लीक हुआ। स्टारलाइन के प्रॉपल्शन सिस्टम में खराबी क्यों आई। क्यों इस स्पेसक्राफ्ट ने डॉकिंग में सुनीता और बुच को दिक्कत दी थी। NASA और बोइंग की टीम स्पेस क्राफ्ट में मौजूद केमिकल्स की जांच करेगी।
5 जून को हुआ था लॉन्च
नासा ने इस मिशन को 5 जून को रात 8:22 बजे लॉन्च किया था। फ्लोरिडा के केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से ULA के एटलस V रॉकेट से लॉन्च किया गया था। इस मिशन के तहत दोनों अंतरिक्ष यात्री एक हफ्ते तक ISS में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों के साथ समय बिताने वाले थे और कई तकनीकी परीक्षण करने वाले थे। स्पेसक्राफ्ट अगले दिन यानी, 6 जून को रात 11:03 बजे ISS पहुंचा था। इसे रात 9:45 बजे पहुंचना था, लेकिन रिएक्शन कंट्रोल थ्रस्टर में परेशानी आ गई थी।
स्टारलाइनर के बनने की कहानी
बनने में लगे 6 साल
- स्टारलाइनर को अमेरिकी स्पेस रिसर्च एजेंसी NASA ने अपने कमर्शियल क्रू प्रोग्राम के तहत बोइंग के साथ मिलकर बनाया है।
- नासा ने अक्टूबर 2011 में बोईंग को स्पेसक्राफ्ट बनाने के लिए हरी झंडी दी थी। स्टारलाइनर बनते-बनते छह साल लग गए।
- 2017 में बना और 2019 तक उसके परीक्षण उड़ान होते रहे। लेकिन इन उड़ानों में कोई इंसान शामिल नहीं था।
हर उड़ान में आई दिक्कत
- पहली मानवरहित (कोई इंसान नहीं) ऑर्बिटल फ्लाइट टेस्ट 20 दिसंबर 2019 को हुई। लेकिन दो सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी की वजह से यह दूसरे ऑर्बिट में पहुंच गया। स्पेस स्टेशन से डॉकिंग हो नहीं पाई। दो दिन बाद न्यू मेक्सिको के व्हाइट सैंड्स मिसाइल रेंज में वापस लैंड हुआ।
- दूसरी मानवरहित उड़ान 6 अप्रैल 2020 को हुई, लेकिन लॉन्चिंग थोड़ी टालनी पड़ी।
- अगस्त 2021 में लॉन्चिंग करने की तैयारी हुई, लेकिन फिर स्पेसक्राफ्ट के 13 प्रोपल्शन वाल्व में कुछ कमियां आ जाने की वजह से इसे टाल दिया गया। इसके बाद बोईंग ने पूरे स्पेसक्राफ्ट को फिर से बनाया।
डमी एस्ट्रोनॉट्स के साथ भरी उड़ान
- मई 2022 में ट्रायल उड़ान की तैयारी की गई, 19 मई 2022 को स्टारलाइनर ने दो डमी एस्ट्रोनॉट्स के साथ उड़ान भरी। लेकिन ऑर्बिटल मैन्यूवरिंग और एटीट्यूड कंट्रोल सिस्टम थ्रस्टर्स फेल हो गए। कड़ी मशक्कत के बाद 22 मई 2022 को स्टारलाइनर को स्पेस स्टेशन से जोड़ा गया।
- 25 मई 2022 को स्टारलाइनर स्पेस स्टेशन से वापस धरती पर आया। रीएंट्री के समय स्पेसक्राफ्ट से नेविगेशन सिस्टम खराब हुआ, कम्यूनिकेशन गड़बड़ा गया। साथ ही जीपीएस सैटेलाइट से कनेक्शन टूट गया।
कई बार टालने के बाद 5 जून को भरी उड़ान
- 1 जून 2023 को बोईंग ने कहा कि हम तीसरी मानवयुक्त उड़ान को टाल रहे हैं। 7 अगस्त 2023 को कंपनी ने स्पेसक्राफ्ट की सारी दिक्कतें खत्म होने की बात कही।
- अगली उड़ान 6 मई 2024 को तय की गई। लेकिन एटलस रॉकेट में ऑक्सीजन वॉल्व में कुछ दिक्कत आने की वजह से फिर यह लॉन्चिंग टल गई।
- इसके बाद स्पेसक्राफ्ट में हीलियम लीक होने की वजह से लॉन्चिंग टाली गई। आखिरकार 5 जून को सुनीता विलियम्स और बैरी बुच विलमोर इस स्पेसक्राफ्ट को लेकर अंतरिक्ष के लिए रवाना हुए।
- 8 दिन बाद 13 जून को इन्हें वापस आना था लेकिन अब तक स्पेस स्टेशन पर ही फंसे हुए हैं।
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