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विधायक बोले-सदन में सवाल नहीं आने से जनता को क्या देंगे जवाब

15वीं विधानसभा में हंगामा और शोर की भेंट चढ़ गईं 47 बैठकें

पुष्पेन्द्र सिंह भोपाल। 15वीं विधानसभा के सत्रों का समापन 12 जुलाई 2023 को हो गया। इन पांच सालों में भाजपा और कांग्रेस विधायकों ने हर सत्र में हंगामा, प्रदर्शन और नारेबाजी की स्थिति पैदा की। लिहाजा निर्धारित 127 में 80 बैठकें ही हो सकीं और 47 बैठकें बिना सवालों, ध्यानाकर्षण, शून्यकाल, याचिकाओं और विभिन्न चर्चाओं के रह गईं। बैठकों के नहीं होने से पहली बार के कई विधायक अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने से रह गए तो अनुभवी और बार-बार के विधायकों यही कसक रह गई कि वे विकास के मुद्दों को अपनी ही सरकार में नहीं भुना पाए। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने सदन को नियमित चलाने के लिए तमाम प्रयास किए। उन्होंने पहली बार की महिला विधायकों को पूरा प्रश्नकाल दिया तो पहली बार के विधायकों को बोलने के अवसर दिए। उन्होंने खासतौर पर विपक्ष के विधायकों को नसीहत दी कि वे अपने क्षेत्र की जनता का विश्वास जीतने सदन में क्षेत्र के मुद्दे उठाएं लेकिन इसका प्रभावी असर नहीं हुआ।

भाजपा विधायकों के विरोध से शुरू, कांग्रेस पर खत्म

7 जनवरी 2019 को कांग्रेस की सरकार में 15वीं विधानसभा सत्र के पहले दिन से विरोध, हंगामा और शोर शराबा का क्रम जारी रहा। विपक्ष में बैठी भाजपा ने स्पीकर के चुनाव को लेकर विरोध जताया। विपक्ष ने स्पीकर प्रत्याशी विजय शाह का सदन में उनका नाम नहीं लेने का विरोध किया। इसके अगले दिन 8 जनवरी को भाजपा विधायकों ने जमकर हंगामा किया। सरकार पलटने के बाद से कांग्रेस के विधायकों ने सदन की कार्रवाई में लगभग हर बार हंगामा किया।

गावरी जाति को ओबीसी वर्ग में नहीं ला पाए

मेरे क्षेत्र के गावरी जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग में रखा गया है। जबकि यह जाति अनुसूचित जाति वर्ग में आनी चाहिए। इस संबंध में विधानसभा में चर्चा करनी थी, लेकिन सदन की कार्रवाई बाधित हुई। अगर मेरी यह मांग पूरी होती तो प्रदेश के पर हजारों लोगों को इसका फायदा मिलता। -हिना लिखीराम कावरे, विधायक, लांजी

ध्यानाकर्षण में नहीं आ पाया ग्राम सड़क का मामला

वनभूमि की अनुमति दिलाकर सीएम ग्राम सड़क में जोड़ने की याचिका लगाई थी लेकिन हंगामें की भेंट चढ़ गई। गरीबों की अनुग्रह राशि मिलने से संबंधित ध्यानाकर्षण सूचना भी नहीं आ पाई। सरकार से मांग पूरी होती तो पूरे प्रदेश का भला होता। -रामपाल सिंह, विधायक, सिलवानी

गरीबों के लिए नहीं दिला सकी बिजली-सड़क

करीब 12 हजार गरीबों की नई बस्तियों में बिजली-सड़क नहीं है। सदन में सवाल लगाया लेकिन हंगामे के कारण सदन में नहीं आ सका। आईटीबीपी का ट्रेनिंग सेंटर बनाने के लिए चार हजार एकड़ जमीन के लिए लड़ रहे हैं। इस संबंध का हमारा सवाल भी नहीं आ सका। -रामबाई परिहार, विधायक, पथरिया

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