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लेजी आई प्रॉब्लम से कमजोर हो रहा विजन, छह माह की आयु में कराएं पहला विजन टेस्ट

चाइल्ड विजन अवेयरनेस मंथ: बच्चों में बढ़ रहा मायोपिया, कम उम्र में होने लगा है सिरदर्द

प्रीति जैन। अगर आपका बच्चा आंखों को छोटा या तिरछा(स्किवंट)करके देख रहा है या बार-बार आंख रगड़ता है, टीवी देखते समय सिर या गर्दन एक ओर झुका लेता हो तो इसका मतलब उसकी आंखों में समस्या। कई बार बच्चों की उम्र कम है तो आंखों की समस्या नहीं होगी ऐसा सोचकर पैरेंट्स कई बातों को नजरअंदाज करते हैं, लेकिन आई स्पेशलिस्ट के मुताबिक बहुत सारी दिक्कतें बच्चों की आंखों में कम उम्र में भी आ सकती हैं। आई स्पेशलिस्ट्स के मुताबिक स्कूल एडमिशन से पहले बच्चे का आई रेस्ट करा लें, क्योंकि उसकी नजर कमजोर हुई तो दूसरी आंख पर प्रेशर ज्यादा आएगा, जिसे लेजी आई प्रॉब्लम कहते हैं।

4 से 5 साल के बच्चों को आने लगते हैं चक्कर

चार से पांच साल के बच्चों के केस आई स्पेशलिस्ट के पास रहे हैं जिन्हें सिरदर्द और चक्कर आने जैसा महसूस होता है। पांच से 15 साल की उम्र के बच्चों में तेजी में मायोपिया स्क्रीन टाइम लगातार बढ़ने से बढ़ता दिख रहा है। नेत्र रोग विशेषज्ञ इसके कई लक्षण बताते हैं, जो कि पैरेंट्स को समझना चाहिए, जैसे कि अचानक बच्चे का पढ़ाई में मन न लगना, कॉपी में गलतियां बढ़ जाना, अचानक ग्रेड कम आने लगना। आंखों की बनावट में फर्क दिखना जैसे एक आंख बड़ी या झुकी हुईं पलकें आदि।

स्कूल एडमिशन से पहले भी कराएं आई टेस्ट

हमारे देश में करीब 1 करोड़ 28 लाख बच्चे आंखों की कम रोशनी से परेशान है, जिन्हें रिफ्रैक्टिव एरर यानी चश्मे की समस्या है। आनुवांशिक कारण, आंखों की लंबाई एवं बनावट में फर्क के अलावा डिजिटल गैजेट्स का इस्तेमाल इसके मुख्य कारण हैं। स्क्रीन को लगातार नजदीक से देखने पर आंखों की मांसपेशियों पर जोर पड़ता है, जिससे चश्मे का नंबर तेजी से बढ़ता है। बच्चे की आंखों की संपूर्ण जांच 6 माह की आयु, उसके बाद तीन वर्ष की आयु और फिर स्कूल जाने से पहले पांच से छह वर्ष की आयु में होना चाहिए। -डॉ. विनीता रामनानी, आई स्पेशलिस्ट

बच्चों को दिन में कई बार दूर देखने को भी कहें

बच्चों की आंख में परेशानी नोटिस करें तो जांच कराएं क्योंकि यदि एक आंख कमजोर हुई तो दूसरी पर निर्भरता बढ़ती जाएगी और कमजोर आंख वीक होती जाएगी जिसे लेजी आई कहते हैं। चश्मे के नंबर आने पर घबराएं नहीं क्योंकि यह भविष्य में आंख की सुरक्षा के लिए जरूरी है। बच्चों को दिन में कई बार दूर तक देखने को कहें क्योंकि बच्चों का अधिकांश समय पास की चीजें देखने में जा रहा है। -डॉ. गजेंद्र चावला, आई स्पेशलिस्ट

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