
भोपाल। औबेदुल्लागंज निवासी सुरखी देवी प्रसव के लिए एक से दूसरे अस्पताल भटकती रहीं, लेकिन इलाज करना तो दूर डॉक्टरों ने उन्हें देखना तक उचित नहीं समझा। उनकी गंभीर स्थिति को देख अस्पताल भर्ती करने की जगह रेफर करते रहे। अंतत: हमीदिया अस्पताल पहुंचने से पहले ही ऑटो में प्रसव हो गया। ऑटो चालक जैसे-तैसे मां और बच्चे को हमीदिया अस्पताल लेकर पहुंचा, लेकिन समय पर इलाज न मिलने से नवजात ने दम तोड़ दिया। डॉक्टरों का कहना था कि अधिक ब्लीडिंग से सुरखी देवी की स्थिति गंभीर हो गई थी।
गांव में नहीं मिला इलाज
महिला के पति बुधिया ने बताया कि प्रसव पीड़ा होने पर गांव के अस्पताल पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने इलाज के बजाय औबेदुल्लागंज रेफर कर दिया। वहां डॉक्टरों ने बताया कि तबीयत ज्यादा खराब है और भोपाल ले जाने को कह दिया। जैसे-तैसे लोडिंग ऑटो कर दोपहर में जेपी अस्पताल के लिए निकले। रास्ते में तकलीफ ज्यादा होने लगी, तो मंडीदीप में एक सरकारी अस्पताल में गए, लेकिन वहां कह दिया गया कि हमीदिया अस्पताल ले जाओ। हमीदिया पहुंचने से पहले ही प्रसव हो गया। हम हमीदिया अस्पताल पहुंचे, तब तक बच्चे की जान जा चुकी थी।
रेफर करने से बिगड़ती है स्थिति
जेपी अस्पताल में गंभीर मामलों में मरीजों को भर्ती करने की जगह हमीदिया अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। यहां आने वाले दुर्घटना के मामलों को प्राथमिक उपचार के बाद हमीदिया भेजा जाता है। ऐसे में कई बार मरीजों की स्थिति बिगड़ जाती है।
MP में प्रति हजार में 43 शिशुओं की हो जाती है मौत
मप्र में प्रति हजार में 43 शिशुओं की मौत जन्म के समय ही हो जाती है। सरकार के स्तर पर प्रयास किया जाता है कि प्रसव अस्पतालों में हो, ताकि शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सके, लेकिन अस्पताल की लापरवाही से भी शिशु की मौत हो जाती है।
यह घटना दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। हालांकि, इसके बारे में जानकारी नहीं है और न ही किसी ने इसकी शिकायत की है। कोई शिकायत करता है, तो पूरे मामले की जांच कराई जाएगी और कार्रवाई होगी।
– डॉ. प्रभाकर त्रिपाठी, सीएमएचओ, भोपाल