धर्म

22 जून को आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे सूर्य, जानें इस मानसून में अच्छी बारिश के योग

ज्योतिष और हमारी संस्कृति में सौरमंडल के स्वामी सूर्यदेव का आर्द्रा नक्षत्र में आना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य ऊर्जा व प्रकाश के प्रतीक हैं। आरोग्य के कारक हैं। और जीवन में उम्मीद के संवाहक हैं। सूर्य को संसार की आत्मा कहा जाता है। ज्योतिष में सूर्य के राशि बदलने और नक्षत्र बदलने पर खास ध्यान दिया जाता है और इस आधार पर ज्योतिर्विद् स्थितियों का आकलन भी करते हैं, भविष्यवाणी भी करते हैं और इसका धार्मिक महत्व भी होता है।

नौतपा गुजरने जाने के बावजूद लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच सभी लोग बारिश का इंतजार कर रहे है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, 22 जून को आर्द्रा नक्षत्र में सूर्य का प्रवेश होने के बाद बारिश के योग शुरू हो जाएंगे। ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति के हिसाब से इस बार 52 दिन तेज बारिश के संयोग बन रहे हैं।

गर्मी से मिलेगी राहत!

ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, आर्द्रा नक्षत्र का प्रवेश मकर लग्न में होगा। ऐसी मान्यता है कि नौतपा के दौरान यदि भयंकर गर्मी पड़ती है तो आने वाले मानसून में वर्षा भी अच्छी होती है। माना जाता है कि सूर्य जब आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करता है तो हर जगह मानसून का ही प्रभाव नजर आता है। क्योंकि, इस साल नौतपा में तेज गर्मी पड़ी इसलिए बारिश भी अच्छी होगी। आर्द्रा नक्षत्र के सूर्य के समय आंधी, तूफान, तेज वर्षा के योग बन रहा है। वहीं, कुछ जगहों पर बाढ़ जैसी स्थिति भी बन सकती है।

मानसून वर्षा को मिलेगा बल

सूर्य जब आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करेगा तो इसके प्रभाव से प्रकृति में चारों ओर नमी और हरियाली बढ़ेगी। मौसम में शीतलता का एहसास होगा। इस नक्षत्र के स्वामी राहू हैं। राहू रासायनिक गतिविधियों को बढ़ाने वाले हैं।

किस माह में अच्छी बारिश के योग ?

जून, जुलाई, अगस्त, सितंबर, अक्टूबर माह में अच्छी बारिश के योग हैं। जुलाई, अगस्त में नदी, नाले, तालाब लबालब हो जाएंगे। वहीं, वर्षा ऋतु में महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, ओडिशा, त्रिपुरा, मिजोरम, नागालैंड, मनीपुर, आंध्र, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, बिहार, असम, गुजरात, राजस्थान एवं मध्यप्रदेश में प्राकृतिक आपदा की आशंका है।

बारिश के 8 नक्षत्र होते हैं

वर्षा के मुख्यत: आठ नक्षत्र होते हैं। वर्षा ऋतु के नक्षत्र आर्द्रा 22 जून, पुनर्वसु छह जुलाई, पुष्य 20 जुलाई, अश्लेषा तीन अगस्त, मघा 17 अगस्त, पूर्वा फाल्गुनी 31 अगस्त, उत्तरा फाल्गुनी 14 सितंबर एवं हस्त 27 सितंबर तक वर्षा श्रेष्ठ होगी। 11 अक्टूबर से चित्रा नक्षत्र रहेगा।

आर्द्रा नक्षत्र का क्या महत्व है ?

आकाशमंडल में आर्द्रा छठा नक्षत्र है। ये मुख्यत: राहु ग्रह का नक्षत्र है, जो मिथुन राशि में आता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार भगवान शिव शंकर के रुद्र रूप ही आर्द्रा नक्षत्र के अधिपति हैं, जो प्रजापालक हैं, लेकिन जब उग्र होते हैं तो कुछ ना कुछ विनाशकारी अथवा प्रलयंकारी घटनाएं अवश्य होती हैं।

आर्द्रा नक्षत्र व मिथुन राशि पर जन्में जातक को राहू व बुध का जीवन भर प्रभाव रहेगा। वहीं गुरु का भी महत्व उसके जीवन में देखने को मिलेगा। इस नक्षत्र में जन्में जातक चंचल स्वभाव के हँसमुख, अभिमानी, दुःख पाने वाले, बुरे विचारों वाले व्यसनी भी होते हैं। राहू की स्थितिनुसार फल भी मिलता है।

(नोट: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)

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