
नई दिल्ली। भारतीय रेलवे अब हाइड्रोजन गैस से ट्रेन चलाने की तैयारी कर रहा है। रेलवे बोर्ड के सदस्य अनिल कुमार खंडेलवाल ने कहा कि भारत इस साल अपनी पहली हाइड्रोजन ट्रेन का संचालन शुरू कर देगा और 2047 तक ऐसी ट्रेनों की संख्या बढ़कर 50 हो जाएगी। उन्होंने बताया कि सुरक्षा को लेकर रेलवे कवच 4 को लांच कर रहा है। इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। 1400 किलोमीटर ट्रैक का काम पूरा हो चुका है। दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा के 3,000 किलोमीटर के लिए बोलियां स्वीकार की जा रही हैं।
बजट में से 1.08 लाख करोड़ रुपए केवल सुरक्षा बढ़ाने के लिए उपयोग किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि गति शक्ति के आने से काम की रफ्तार में इजाफा हुआ है। अब सालाना 70 से 80 प्रोजेक्ट अप्रूवल किए जा रहे हैं, इनकी संख्या पहले 7 से 8 थी। रेलवे प्रतिदिन 14.50 किलोमीटर ट्रैक का निर्माण कर रहा है। पिछले वर्ष 5,000 किलोमीटर के ट्रैक का निर्माण किया गया। उन्होंने बुलेट ट्रेन को लेकर कहा कि 2027 तक देश में पहली बुलेट ट्रेन देखने को मिल सकती है।
हाइड्रोजन फ्यूल सेल्स से चलेगी यह ट्रेन
- हाइड्रोजन ट्रेन हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली ट्रेन है।
- ट्रेन में डीजल इंजन के बजाए हाइड्रोजन फ्यूल सेल्स लगाए जाते है। ये ट्रेनें कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन या पार्टिकुलेट मैटर जैसे हानिकारक प्रदूषकों का उत्सर्जन नहीं होता।
- इन ट्रेनों के चलने से प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
- हाइड्रोजन फ्यूल सेल्स की मदद से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को बदलकर बिजली पैदा की जाती है। इसी बिजली का इस्तेमाल ट्रेन को चलाने में किया जाता है।
1 लाख 8 हजार करोड़ सुरक्षा पर होंगे खर्च
केंद्रीय बजट में रेलवे को 2 लाख 62 हजार करोड़ का बजट आवंटन दिया है। इसमें 1 लाख 8 हजार करोड़ रुपए सेफ्टी बढ़ाने के लिए है।
यह होंगी ट्रेन की खासियतें
- हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों को हाइड्रेल भी कहते हैं।
- ये ट्रेनें बिना धुआं छोड़े दौड़ेंगी, जिससे प्रदूषण नहीं होगा। इस ट्रेन में 4 से 6 कोच होंगे।
- सबसे पहले ये ट्रेन हरियाणा के जींद और सोनीपत के बीच चलेगी।
- ये ट्रेन 140 किमी/घंटे की रफ्तार से 1000 किमी दौड़ सकती है। हालांकि भारत में ये ट्रेनें फिलहाल 100 किमी की दूरी तय करेंगी।
पीएम मोदी ने दिया है रेलवे को मजबूत करने पर ध्यान
पीएम मोदी ने 10 वर्षों में रेलवे को मजबूत करने के हर तरीके पर ध्यान दिया है। 2014 के पहले 60 साल देखें तो 20,000 किमी रेलवे का विद्युतीकरण हुआ था। 10 सालों में 40,000 किमी रेलवे विद्युतीकरण हुआ है। 2014 में नए ट्रैक 3 से 4 किमी एक दिन में बनते थे। पिछले वर्ष 14.50 किमी प्रतिदिन, पूरे साल में 5,300 किमी नए ट्रैक बने हैं। – अश्विनी वैष्णव, रेल मंत्री