
अमेरिकी अरबपति और टेस्ला के मालिक एलन मस्क ने शनिवार को एक बयान देते हुए अमेरिका और यूरोप के बीच जीरो टैरिफ यानी शुल्क मुक्त व्यापारिक समझौते की वकालत की। इटली लीग पार्टी के नेता और इटली के उप-प्रधानमंत्री माटेओ साल्विनी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बात करते हुए मस्क ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में अमेरिका और यूरोप के बीच एक मजबूत, करीबी और शुल्क मुक्त साझेदारी बन सकती है।
अमेरिका और यूरोप को बनाना चाहिए फ्री टैरिफ जोन
मस्क का कहना है कि अमेरिका और यूरोप को एक ऐसा फ्री ट्रेड जोन बनाना चाहिए, जहां कोई टैरिफ न हो और व्यापार पूरी तरह से खुला हो। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यदि दोनों क्षेत्रों के लोगों को एक-दूसरे के देशों में काम करने की भी आजादी मिल सके, तो यह साझेदारी और भी मजबूत हो सकती है। मस्क ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने इस विचार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ भी साझा किया है, ताकि मौजूदा टैरिफ बाधाओं को हटाकर दोनों पक्षों को व्यापारिक लाभ मिल सके।
ट्रम्प ने यूरोपीय देशों पर लादे भारी भरकम टैरिफ
गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों के तहत अमेरिका ने यूरोपीय देशों पर भारी टैरिफ लगाए हैं। इटली जैसे देश इस नीति से विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं। ट्रम्प का तर्क है कि ये टैरिफ अमेरिका के व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए जरूरी हैं, मगर इसका असर यूरोप-अमेरिका व्यापार संबंधों पर नकारात्मक रूप से पड़ा है। मस्क ने कहा कि इस परिस्थिति का हल एक जीरो टैरिफ नीति हो सकती है, जिससे दोनों क्षेत्रों के बीच व्यापार फिर से आसान और पारस्परिक रूप से लाभदायक बन सके।
दक्षिणपंथी पार्टियों से मस्क की नजदीकी
एलन मस्क का यूरोप की दक्षिणपंथी पार्टियों से संबंध कोई नया विषय नहीं है। उन्होंने इटली की राइट विंग पार्टी ‘ब्रदर्स ऑफ इटली’ और साल्विनी की ‘लीग पार्टी’ का समर्थन किया है। इसके अलावा मस्क ने जर्मनी की राइट-विंग पार्टी AfD (Alternative for Germany) का भी समर्थन किया था।
हालांकि, इन पार्टियों के सख्त प्रवासी विरोधी रुख और दक्षिणपंथी एजेंडा की वजह से मस्क कई बार विवादों में भी घिरे हैं। इसके बावजूद, वे इन देशों से व्यापारिक रिश्ते मज़बूत करने की बात लगातार दोहराते रहे हैं।
क्या मुमकिन है शून्य टैरिफ जोन
विशेषज्ञों का मानना है कि मस्क का प्रस्ताव वैश्विक व्यापार को नई दिशा दे सकता है, लेकिन इसे अमल में लाना आसान नहीं होगा। अमेरिका और यूरोप के बीच कई व्यापारिक, राजनीतिक और कूटनीतिक उलझनें हैं, जिन्हें सुलझाना एक लंबी प्रक्रिया हो सकती है।
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