हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष कि पूर्णिमा तिथि को सिख धर्म के प्रथम गुरु गुरुनानक देव की जयंती मनाई जाती है। गुरु नानक जी सिख धर्म के संस्थापक और पहले सिख गुरु थे। उनका जन्म 1469 में कार्तिक पूर्णिमा को पाकिस्तान में स्थित श्री ननकाना साहिब में हुआ था। इस साल उनकी 552वीं जयंती आज मनाई जा रही है। गुरु पर्व पर सभी गुरुद्वारों में भजन, कीर्तन होता है और प्रभात फ़ेरियां भी निकाली जाती हैं। गुरुनानक जयंती को हम कई अन्य नाम से भी जानते हैं। जैसे इस पर्व को हम प्रकाश पर्व, गुरु पर्व, गुरु पूरब भी कहते हैं।
गुरुनानक देव एक महान प्रवर्तक
कार्तिक पूर्णिमा को जन्में गुरु नानक देव सर्वधर्म सद्भाव की प्रेरक मिसाल माने जाते हैं। गुरु नानक देव जी ने समाज में फैले अंधविश्वास, घृणा, भेदभाव को दूर करने के लिए सिख संप्रदाय की नींव रखी। उनका व्यक्तित्व दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्म-सुधारक, समाज सुधारक, देशभक्त जैसे सभी गुणों को समेटे हुआ है। गुरु नानक देव जी ने ‘निर्गुण उपासना’ पर जोर दिया और उसका ही प्रचार-प्रसार किया। वे मूर्ति पूजा नहीं करते थे और न ही मानते थे। ईश्वर एक है, वह सर्वशक्तिमान है, वही सत्य है, इसमें ही नानक देव का पूरा विश्वास था। उन्होंने समाज में आपसी प्रेम और भाईचारे को बढ़ाने के लिए लंगर परंपरा की शुरुआत की थी। इसमें सभी जाति और संप्रदाय के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं।
कैसे मनाते हैं गुरुनानक जयंती
- गुरुनानक जयंती पर अनेक उत्सव आयोजित होते हैं, इसे एक पर्व के रूप में मनाया जाता है।
- इस पावन अवसर पर तीन दिन का अखण्ड पाठ चलता है।
- सिक्खों की धर्म पुस्तक ‘गुरु ग्रंथ साहिब’का पूरा पाठ बिना रुके किया जाता है।
- मुख्य कार्यक्रम के दिन गुरु ग्रंथ साहिब को फूलों से सजाया जाता है।
- एक पालकी पर गुरु ग्रंथ साहिब को रखकर जुलूस के रूप में पूरे गांव या नगर में घुमाया जाता है।
- इस शोभायात्रा का ‘पंज प्यारे’ प्रतिनिधित्व करते हैं।
- निशान साहब, अथवा उनके तत्व को प्रस्तुत करने वाला सिक्ख ध्वज भी साथ में चलता है।
- पूरी शोभायात्रा के दौरान गुरुवाणी का पाठ किया जाता है।