
झारखंड सरकार व केंद्र सरकार द्वारा जैन समाज के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने से जैन समाज ने आज राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन किया। जिसके बाद अब झारखंड सरकार को झुकना पड़ा। सरकार ने सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने के अपने फैसले को वापस ले लिया है। अब सम्मेद शिखर तीर्थ स्थल ही रहेगा, उसे पर्यटन स्थल घोषित नहीं किया जाएगा। जैसे ही सरकार के इस फैसले की जानकारी मिली, वैसे ही जैन समाजजनों में खुशी की लहर छा गई है।
सम्मेद शिखर की तीर्थ के रूप में ही रहेगी पहचान
झारखंड सरकार द्वारा ऐलान किया गया है कि शिखरजी पहले की ही तरह तीर्थ स्थल के रूप में पहचाना जाएगा। बता दें कि इससे पहले लिए गए फैसले को लेकर देश भर में जैन समाज में आक्रोश बढ़ गया था। बुधवार को जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हुआ। भारत बंद के आह्वान के तहत सुबह से मध्य प्रदेश के इंदौर, भोपाल, उज्जैन, जबलपुर, ग्वालियर, सागर, देवास सहित सभी बड़े शहर सहित प्रदेश के अधिकतर जिलों में बंद का असर देखा गया, जैन समाजजनों ने तो इस दिन दुकानें खोली हीं नहीं, वहीं अन्य दुकानें भी बंद रही।
क्या है पूरा मामला ?
झारखंड राज्य के गिरिडीह में स्थित तीर्थ स्थल सम्मेद शिखरजी जैन धर्म के पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। सम्मेद शिखरजी को पारसनाथ पर्वत भी कहा जाता है। पारसनाथ पर्वत गिरिडीह जिले में छोटा नागपुर पठार पर स्थित एक पहाड़ी है। सम्मेद शिखरजी में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों (सर्वोच्च जैन गुरुओं) ने मोक्ष की प्राप्ति की। साथ ही असंख्य महामुनिराजों ने इसी पवित्र भूमि से तपस्या कर निर्वाण प्राप्त किया है। यहीं 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ ने भी निर्वाण प्राप्त किया था। झारखंड सरकार ने इसे पर्यटन स्थल बनाने के लिए प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है। सरकार के इस फैसले का देशभर में जैन समाज विरोध कर रहा था।
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