
पुष्पेन्द्र सिंह भोपाल। अंश सरकारी स्कूल में कक्षा तीन में पढ़ता है। पिता चौकीदार हैं, इसलिए महंगे स्कूल में प्रवेश नहीं दिला सके। एक दिन पता चला कि अरण्य एन्क्लेव में रिटायर आईएफएस अफसर और उनके परिवार के लोग बच्चों के लिए नि:शुल्क क्लास लगा रहे हैं। अंश को भी भेजना शुरू कर दिया। अब वह अंग्रेजी में बात करने लगा है। स्वाति लोधी ने आठवीं कक्षा से क्लास जॉइन की। हायर सेकंडरी में उसने 92 प्रतिशत अंक के साथ अपने सरकारी स्कूल में प्रथम स्थान हासिल किया। एपीसीसीएफ पद से सेवानिवृत्त हुए रमेश कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि वर्ष 2017 में गरीब बच्चों के साथ पर्यावरण दिवस मनाया। यहीं संकल्प लिया कि ऐसे बच्चों के लिए अलग से क्लास प्रारंभ करेंगे। डॉ.चित्रा श्रीवास्तव और उनकी दोनों बेटियां मैत्रेयी तथा तान्या श्रीवास्तव ने पहली बार कॉलोनी के पास ग्राम जाटखेड़ी के पांच बच्चों को बुलाकर अपने ही आवास के एक कमरे में क्लास प्रारंभ कर दी।
10 से 20 और अब 30 बच्चे स्मार्ट क्लास में
डॉ. चित्रा श्रीवास्तव बताती हैं कि बच्चों की संख्या 10 से 20 और अब 30 हो गई है। इसलिए पास में ही एक मकान का आधा हिस्सा किराए पर लिया है। यहां स्मार्ट क्लास प्रारंभ किया है। बच्चों को कम्प्यूटर पर शिक्षा दी जा रही है। किराया और अन्य खर्चे आईएफएस अफसरों ने अपने वेतन तथा पेंशन से देना प्रारंभ किया है। बच्चों को क्लास में नि:शुल्क पढ़ाने के साथ उन्हें कॉपी-पेंसिल, स्वेटर, बस्ते के साथ जरूरत के अनुसार अन्य वस्तुएं भी उपलब्ध कराते हैं।
बच्चों को पढ़ाने के लिए आगे आए कई अधिकारी
‘संवेदना ए सोसायटी फॉर ग्लोबल क्लासेस भोपाल’ नाम से संस्था बनाई है। स्मार्ट क्लास में पढ़ाने रिटायर्ड आईएफएस अफसर अखिलेश अर्गल और पीसीसीएफ रहे यू प्रकाशम भी आने लगे हैं। कई और आईएफएस अफसर आगे आए हैं। गरीब बच्चों को पढ़ाने का एक ही मकसद है कि आर्थिक कमजोरी के आगे वे अपनी प्रतिभा को दबा नहीं सकें। उनका अच्छा भविष्य बने। साथ ही हमारा उद्देश्य गरीब बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करना है।