
IPCC अपनी सिंथेसिस रिपोर्ट (Synthesis Report) जारी कर रहा है। सबसे पहले आपको बताते हैं कि इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की रिपोर्ट AR6 Synthesis Report क्या है ? वास्तविक में IPCC दुनिया के सबसे बड़े और जानकार जलवायु वैज्ञानिकों का समूह है। संयुक्त राष्ट्र की इकाई है जो जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और भविष्य में आने वाले इनके खतरों का आंकलन करती है। इसके साथ ही इससे होने वाले नुकसान को कम करने और दुनिया के तापमान को स्थिर रखने के विकल्पों को भी सुझाती है।
सिंथेसिस रिपोर्ट को 3 सेक्शन में बांटा
IPCC AR6 सिंथेसिस रिपोर्ट दुनियाभर के जलवायु परिवर्तन, वर्तमान मौसम में हो रहे बदलावों का सार है। इस रिपोर्ट को तीन सेक्शन में बांटा गया है। बता दें कि रिपोर्ट अगस्त 2021 और फरवरी 2022 में आई छठी असेसमेंट रिपोर्ट की आखिरी कॉपी है। जिसमें पूरा डेटा जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को सही से बता रहा है।
- पहला – फिजिकल साइंस ऑफ द क्लाइमेट क्राइसिस, इसमें पूरी दुनिया में बढ़ती हुई गर्मी की डिटेल है।
- दूसरा – इम्पैक्ट्स ऑफ द क्लाइमेट क्राइसिस यानी जलवायु संकट के नुकसान।
- तीसरा – हाउ टू एडाप्ट टू देम. यानी इनसे बचाव के तरीके।
जानें सिंथेसिस रिपोर्ट की अहम बातें
- सिंथेसिस रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान पूरी दुनिया में बढ़ता है, तो इससे क्या असर होगा। इस रिपोर्ट में कुछ नई बात नहीं है, पुरानी रिपोर्ट्स के निष्कर्षों का फिर से विश्लेषण करके उन्हें पेश किया गया है।
- जलवायु परिवर्तन की वजह से जमीन, समुद्र और क्रायोस्फेयर (बर्फ, ग्लेशियर और ध्रुव) पर क्या असर पड़ेगा। चेतावनी दी है कि पूरा विश्व जिस तरह से ग्लोबल वॉर्मिंग का शिकार हो रहा है, उसे वापस ठीक नहीं कर सकते।
- ग्लोबल वॉर्मिंग से पूरी धरती पर खतरनाक बदलाव होंगे। माना जा रहा है कि ऐसी आपदाएं आएंगी, जिनसे बचना नामुमकिन होगा। रिपोर्ट भविष्य की दिक्कतों को लेकर बनाई गई है, इसमें अधिकतर हिस्सा भविष्य को बचाने को लेकर है।
क्या इस रिपोर्ट से कोई बदलाव आएगा ?
1988 में निकाय की स्थापना के बाद से यह छठी आईपीसीसी रिपोर्ट है। हर रिपोर्ट को बनाने में लगभग छह से आठ साल लगते हैं। जैसे रिपोर्ट आकार और तात्कालिकता में बढ़ी है, वैसे वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में भी वृद्धि हुई है। 2018 में, IPCC ने चेतावनी दी थी कि तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने का एक अच्छा मौका पाने के लिए 2010 के स्तर की तुलना में 2030 तक उत्सर्जन को आधा किया जाना चाहिए। फिर भी उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, पिछले साल ही यह 1 फीसदी से थोड़ी ज्यादा बढ़ गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर की सरकारों को अपना कार्बन बजट बनाना होगा।