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बिलकिस बानो गैंगरेप केस : दोषियों की सजा माफ करने वाली याचिका की सुनवाई से अलग हुईं जस्टिस बेला त्रिवेदी

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश बेला एम त्रिवेदी ने मंगलवार को बिलकिस बानो द्वारा दायर उस याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, जिसमें उनके गैंगरेप मामले के 11 दोषियों की सजा माफ करने के गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है।

अब दूसरी पीठ में जाएगा मामला

जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने जैसे ही इस मामले की सुनवाई शुरू की, जस्टिस रस्तोगी ने कहा कि उनकी साथी जस्टिस मामले की सुनवाई नहीं करना चाहेंगी। जस्टिस रस्तोगी की अगुवाई वाली पीठ ने आदेश दिया-  यह मामला एक ऐसी पीठ के समक्ष पेश किया जाए, जिसमें हममे से एक न्यायाधीश शामिल नहीं हों।

नहीं बताया कोई कारण

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने जस्टिस बेला त्रिवेदी के सुनवाई से खुद को अलग करने के पीछे कोई वजह नहीं बताई। गौरतलब है कि गुजरात दंगों के दौरान बानो रेप की शिकार हुई थीं और उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोग 15 अगस्त को गोधरा उप-जेल से रिहा हुए थे। गुजरात सरकार ने अपनी क्षमा नीति के तहत इन दोषियों को रिहा करने की अनुमति दी थी।

मई में गुजरात सरकार ने दिया था आदेश

मई 2022 में जस्टिस अजय रस्तोगी ने एक दोषी की याचिका पर आदेश दिया था कि गुजरात सरकार 1992 की रिहाई की नीति के तहत बिलकिस बानो मामले में दोषियों की रिहाई पर विचार कर सकती है। लेकिन बिलकिस ने अपनी याचिका में कहा है कि इस मामले का पूरा ट्रायल महाराष्ट्र में चला है और वहां की रिहाई नीति के तहत ऐसे अपराधों में 28 साल से पहले रिहाई नहीं हो सकती है। मंगलवार को कोर्ट में इस पर सुनवाई होनी थी कि बिलकिस की याचिका सही है या नहीं। लेकिन इससे पहले ही सुनवाई से जस्टिस बेला त्रिवेदी ने खुद को अलग कर लिया।

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