ग्वालियरमध्य प्रदेश

Gwalior News : चिली के कलाकारों ने पाश्चात्य मुरली की मधुर धुन से बढ़ाई युवा दिलों की धड़कनें, सुर सम्राट को दी स्वरांजलि

ग्वालियर। भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठापूर्ण महोत्सव ‘तानसेन समारोह’ की सोमवार सुबह पारंपरिक ढंग से शुरुआत हुई। तानसेन समारोह की दूसरी और मंगलवार की प्रातः कालीन सभा में विश्व संगीत समागम के तहत चिली राष्ट्र के वालपराइसो शहर के बैंड की प्रस्तुति हुई।

इस बैंड की प्रस्तुति के मुख्य कलाकार थॉमस कैरासको मुख्यतः बांसुरी वादक हैं और निकोलस एकॉस्टिक इलेक्ट्रॉनिक गिटार वादन करते हैं। चिली के कलाकारों ने पाश्चात्य लोकधुनें पेश कर सुर सम्राट को स्वरांजलि अर्पित की। साथ ही तेज रिदम में पारंपरिक पाश्चात्य वादन कर कर श्रोताओं में जोश भर दिया।

कला साधकों ने बढ़ा दीं दिलों की धड़कनें

‘तानसेन समारोह’ महोत्सव में सात समंदर पार चिली से आए “सेर ओ ड्यूडो बैंड” के कला साधकों ने पाश्चात्य मुरली (बांसुरी) और इलेक्ट्रॉनिक गिटार सहित अन्य वाद्य यंत्रों की संगत से मधुर धुन बिखेर कर युवा दिलों की धड़कनें बढ़ा दीं। वहीं सुधीय रसिकों को लगा कि द्वापर युग में मुरलीधर ने ब्रजभूमि से अपनी मुरली की तान से मानव सभ्यता को प्रेम का जो संदेश दिया था, उससे पश्चिमी देश भी अछूते नहीं है।

पारंपरिक ढंग से हुआ ध्रुपद गायन

विश्व संगीत समागम तानसेन समारोह में सोमवार की प्रातःकालीन सभा का शुभारंभ ध्रुपद केंद्र भोपाल के ध्रुपद गायन के साथ हुआ। राग “भैरव” में प्रस्तुत ध्रुपद रचना के बोल थे “शिव आदि मदअंत”। पखावज पर आदित्य दीप ने संगत की। इसके बाद स्थानीय शंकर गांधर्व महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने राग “देशी” और चौताल में निबद्ध ध्रुपद बंदिश “रघुवर की छवि सुंदर..” का सुमधुर गायन किया। पखावज संगत मुन्नालाल भट्ट की रही।

गायिका की मधुर आवाज ने मन मोह लिया

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से तानसेन समारोह में पधारीं शास्त्रीय संगीत की उदयीमान गायिका दीपिका भिड़े भागवत ने अपनी माधुर्य भरी गायिकी से गुणीय रसिकों का मन मोह लिया। उन्होंने राग “जौनपुरी” और विलंबित तिलवाड़ा ताल में जब बड़ा ख्याल “हूं तो जैहौं पिया के देशवा..” का गायन अपनी दानेदार मधुर आवाज में किया तो रसिक श्रोता विरह रस में डूब गए।

दीपिका भिड़े ने इसी कड़ी में एक ताल में निबद्ध छोटा ख्याल “रे तोरी शान बरक़रार रहे..” प्रस्तुत कर घरानेदार गायकी को जीवंत कर दिया। उन्होंने मीरा रचित भजन “जागो बंसी बारे..” गाकर भक्तिरस की धारा बहाई और अपने गायन को विराम दिया। उनके गायन में तबले पर अनंत मोघे और हारमोनियम पर रचना शर्मा ने दिलकश संगत की।

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