
एथेंस (ग्रीस)। पश्चिमी सभ्यता का गुरु माने जाने वाले ग्रीस ने पारंपरिक मानदंडों को तोड़ते हुए समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को वैध बनाकर रूढ़िवादी देशों में अग्रणी बन गया है। प्रधानमंत्री क्यारीकोस मित्सोटाकिस और न्यू डेमोक्रेसी पार्टी द्वारा समर्थित यह ऐतिहासिक निर्णय प्रभावशाली रूढ़िवादी चर्च के कड़े विरोध के बावजूद आया है।
ग्रीस की संसद ने 15 फरवरी गुरुवार को समलैंगिक विवाह को वैध बनाने वाले कानून पारित कर दिया। इसके साथ ही सेम सेक्स मैरिज को मंजूरी देने वाला ग्रीस पहला ईसाई देश बन गया है। यह ग्रीस की जनता के लिए मानवाधिकारों की एक ऐतिहासिक जीत है।
पक्ष में 176 और विपक्ष में 76 वोट पड़े
दो दिनों की बहस के बाद विधेयक को भारी समर्थन मिला। ग्रीस की संसद में उपस्थित 300 सांसदों में से इसके पक्ष में 176 ने वोट किया। जबकि 76 ने इसका विरोध जताया। कुल 254 लोगों ने मतदान किया। आखिरकार बहस के बाद ग्रीस में समलैंगिक विवाह को मंजूरी दे दी गई है। आधिकारिक सरकारी गजट में प्रकाशित हो- पर यह कानून बन जाएगा। देश के एलजीबीटीक्यू कपल के लिए ये एक बड़ी खुशखबरी है। लंबे समय से इस मुद्दे पा चर्चा हो रही थी और आखिरकार ग्रीस की सरकार ने सेम सेक्स मैरिज को वैध करार दे दिया।
The vote has passed: as of tonight, Greece is proud to become the 16th EU country to legislate marriage equality. This is a milestone for human rights, reflecting today’s Greece – a progressive, and democratic country, passionately committed to European values.
— Prime Minister GR (@PrimeministerGR) February 15, 2024
प्रधानमंत्री ने ऐतिहासिक बदलाव बताया
प्रधानमंत्री ने इस निर्णय को ‘मानवाधिकारों के लिए मील का पत्थर’ और यूनान को ‘प्रगतिशील और लोकतांत्रिक देश, जो यूरोपीय मूल्यों के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है’ के रूप में प्रतिबिंबित किया। प्रभावशाली ऑर्थोडॉक्स चर्च के कड़े विरोध के बावजूद, विपक्षी दलों के समर्थन से देश इस ऐतिहासिक बदलाव का साक्षी बना। स्वयं को सार्वजनिक तौर पर समलैंगिक घोषित करने वाले स्टेफानोस कासेलाकिस के नेतृत्व वाली वामपंथी सिरिज़ा पार्टी की भी इस बदलाव के लिए मतदान में महत्वपूर्ण भूमिका रही।
एलजीबीटीक्यू कपल ने मनाया जश्न
विधेयक की जोरदार मंजूरी रूढि़वादी समुदाय के भीतर पारंपरिक मानदंडों से स्वयं को अलग करने का प्रतीक है। संसद भवन के सामने कल इंद्रधनुषी झंडे लहराए गए और एलजीबीटीक्यू परिवारों ने इस ऐतिहासिक क्षण का जश्न मनाया।
इन देशों में मान्य है समलैंगिक विवाह
समलैंगिक विवाह को वैध बनाने वाला पहला देश है नीदरलैंड्स। यहां पर अप्रैल 2001 से ही सेम-सेक्स मैरिज लीगल है। हालांकि, डेनमार्क ने 1989 में ही समलैंगिक जोड़ों को डोमेस्टिक पार्टनर्स के तौर पर रजिस्टर करने की परमिशन दे दी थी। लेकिन, कोई औपचारिक कानून नहीं बनाया था। 2012 में जाकर डेनमार्क ने इसे कानून बनाया। इसके अलावा बेल्जियम, कनाडा, स्पेन, साउथ अफ्रीका, नॉर्वे, स्वीडन, आइसलैंड, पुर्तगाल, अर्जेंटीना, ब्राज़ील, इंग्लैंड, वेल्स, कोस्टा रिका, ताइवान, जैसे देश शामिल हैं।
भारत में अब तक नहीं मिली मान्यता
भारत में पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने शादी को मौलिक अधिकार न मानते हुए कहा कि वो स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 में कुछ जोड़ नहीं सकता, क्योंकि इसका अधिकार विधायिका के पास है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने का काम संसद का है। अब ये सरकार पर है कि वो इसको लेकर क्या कदम उठाती है।