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1993 सीरियल ब्लास्ट केस में अब्दुल करीम टुंडा बरी, 2 आतंकवादी को आजीवन कारावास, अजमेर की TADA कोर्ट ने 30 साल बाद सुनाया फैसला

जयपुर। देश में साल 1993 में पांच बड़े शहरों में हुए सीरियल ब्लास्ट के आरोपी अब्दुल करीम टुंडा को कोर्ट ने बरी कर दिया है। 30 साल पुराने सीरियल बम ब्लास्ट केस में कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया। इसी के साथ दो आतंकवादी इरफान और हमीदुद्दीन को कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है। तीनों आरोपी टुंडा, इरफान और हमीदुद्दीन को भारी पुलिस बल के बीच सुबह 11 बजे कड़ी सुरक्षा के बीच अजमेर की टाडा कोर्ट में पेश किया गया था।

सबूतों के अभाव में बरी हुआ टुंडा

बता दें कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिरने के बाद 1993 में लखनऊ, कोटा, हैदराबाद, सूरत, कानपुर और मुंबई की ट्रेनों में सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे। इन्हीं ब्लास्ट में करीम टुंडा आरोपी था। उसे दिल्ली पुलिस मुख्यालय के सामने 1996 में हुए बम धमाकों में भी आरोपी माना गया था। इसी मामले को लेकर कोर्ट ने आज यानी 28 फरवरी को फैसला सुनाते हुए कहा कि टुंडा को सबूतों के अभाव में बरी किया गया है।

बांग्लादेश में टुंडा के मारे जाने की आई थी खबर

बम धमाकों के बाद टुंडा फरार हो गया था और जांच में दावा किया गया था कि टुंडा आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का विस्फोटक विशेषज्ञ है। इसके बाद साल 2000 में टुंडा के बांग्लादेश में मारे जाने की खबर भी सामने आई थी। लेकिन साल 2005 में दिल्ली में पकड़े गए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी अब्दुल रज्जाक मसूद से अब्दुल करीम उर्फ टुंडा के जिंदा होने की पुष्टि की थी। इसी के बाद एजेंसियां अलर्ट पर मोड पर हो गई थीं और उसकी तलाश शुरू कर दी थी। जिसके बाद साल 2013 में नेपाल सीमा से टुंडा पकड़ा गया था।

देशभर में करीब 40 बम धमाके करने का आरोप

साल 2001 में संसद भवन पर हुए हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से जिन 20 आतंकियों के प्रत्यर्पण की मांग की थी, उनमें टुंडा का नाम भी शामिल था। बताया जाता है कि टुंडा के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में तीन दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज हैं। वहीं, 1997-98 में उस पर देशभर में करीब 40 बम धमाके करने का आरोप भी है।

16 लोगों को सुनाई थी सजा

20 साल पहले 28 फरवरी, 2004 को टाडा न्यायालय ने इस मामले में 16 आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने इनमें से चार आरोपियों मोहम्मद यूसुफ, सलीम अंसारी, मोहम्मद निसरूद्दीन और मोहम्मद जहरीरूद्दीन को बरी कर बाकी की सजा बहाल रखी थी। इनमें से एक आरोपी जमाल अल्वी की जयपुर जेल में मौत हो गई और दो आरोपी निसार अहमद और मोहम्मद तुफैल अभी भी फरार हैं। बचे हुए 9 आरोपी जेल में बंद हैं। जेल में बंद आरोपियों में से तीन टुंडा, इरफान और हमीरूद्दीन के मामले पर गुरुवार को फैसला सुनाते हुए टुंडा को बरी दिया।

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