धर्म

Akshaya Navami 2021: इस दिन क्यों करते हैं आंवले के वृक्ष की पूजा? जानें पूजा विधि और कथा

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी या अक्षय नवमी के नाम से जाना जाता है। इस पावन दिन आंवले के वृक्ष की पूजा- अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन द्वापर युग का प्रारंभ होता है। द्वापर युग में भगवान विष्णु के आठवें अवतार प्रभु श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। इस दिन भगवान कृष्ण वृन्दावन से मथुरा गए थे। आंवला नवमी की पूजा खास तौर पर महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए करती हैं।

आंवला नवमी शुभ मुहूर्त

कार्तिक मास शुक्ल पक्ष नवमी तिथि आरंभ- 12 नवंबर 2021, शुक्रवार प्रातः 05:51 मिनट से
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष नवमी तिथि समाप्त- 13 नवंबर 2021,शनिवार प्रातः 05:31 मिनट तक
अक्षय नवमी पूर्वाह्न समय – प्रातः 06: 41- दोपहर 12: 05 मिनट तक।
कुल अवधि- 05 घंटे 24 मिनट।

आंवले की पूजा का महत्व

इसे अक्षय पुण्य देने वाला व्रत कहा जाता है। यानी इस दिन आंवले की पूजा से मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होता है। इस दिन महिलाएं अच्छी सेहत, संतान सुख और समृद्धि की कामना से आंवले के पेड़, विष्णु और लक्ष्मीजी की पूजा करती हैं। साथ ही पूजा व्रत भी रखती हैं। वैसे तो पूरे कार्तिक महीने में पवित्र नदियों में स्नान का महत्व है, लेकिन इस तिथि पर स्नान करने से अक्षय पुण्य मिलता है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक मान्यता है कि इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे खाना बनाने और उसे खाने से हर तरह की परेशानियां खत्म हो जाती है। पद्म और विष्णुधर्मोत्तर पुराण के मुताबिक अक्षय नवमी को आंवला पूजन से महिलाओं को अखंड सौभाग्य मिलता है।

आंवला या अक्षय नवमी पूजा कथा

एक व्यापारी और उसकी पत्नी काशी में रहते थे। उनकी कोई संतान नहीं थी। एक दिन व्यापारी की पत्नी को जीवित बच्चे की बलि भैरव बाबा के सामने देने की किसी ने सलाह दी। व्यापारी की पत्नी ने बात मानकर ऐसा ही किया और परिणाम स्वरूप वो रोग ग्रस्त हो गई। अपनी पत्नी की यह हालत देख व्यापारी बहुत दुखी था। उसने अपनी पत्नी से इसका कारण पूछा। तब उसकी पत्नी ने बताया कि उसने एक बच्चे की बलि दी। व्यापारी ने अपनी पत्नी को अपने कुकर्म के प्रायश्चित करने की सलाह दी। पत्नी ने व्यापारी की बात मानकर गंगा स्नान किया और एक दिन प्रसन्न होकर मां गंगा ने उसको रोगमुक्त कर दिया। इसके साथ ही उसको कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला नवमी का व्रत रखने को कहा। व्यापारी की पत्नी ने बड़े विधि विधान के साथ पूजा की और उसे सुंदर शरीर के साथ ही पुत्र की प्राप्ति भी हुई। तभी से महिलाएं संतान प्राप्ति की कामना करते हुए आंवला नवमी का व्रत रखती है।

आंवला नवमी पूजा विधि

  • प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • आंवले के पेड़ की पूजा कर उसकी परिक्रमा करें।
  • आंवला नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की हल्दी, कुमकम, फल-फूल आदि से विधिवत् पूजा करें।
  • आंवला वृक्ष की जड़ में जल और कच्चा दूध अर्पित करें।
  • आंवले के पेड़ के तने में कच्चा सूत या मौली लपेटते हुए आठ बार परिक्रमा करें।
  • इसके बाद पूजा करने के बाद कथा पढ़े या श्रवण (सुने) करें।
  • महिलाएं बिंदी,चूड़ी, मेहंदी, सिंदूर आदि आंवला के पेड़ पर चढ़ाएं।
  • इस दिन ब्राह्मण महिला को सुहाग का समान, खाने की चीज और पैसे दान में देना अच्छा मानते है।

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