
पल्लवी वाघेला/भोपाल। पिता और बेटी का रिश्ता हमेशा से खास माना जाता है। कोई अप्रिय घटना होने पर समाज का हवाला देकर परिवार और पिता बेटी से मुंह मोड़ लेते हैं, लेकिन यहां शोषण का शिकार हुई बेटी के लिए पिता ने परिवार और समाज से लड़कर उसे न्याय दिलाने में उसका साथ दिया जो मिसाल है। पिता ने कहा ‘बेटी गलत होती तब भी साथ नहीं छोड़ता। फिर मेरी बेटी तो खुद अपराध का शिकार हुई थी। खुश हूं कि दो माह पहले उसके अपराधी को सजा हो गई है। अब बेटी बिना किसी बोझ और दर्द के अपने भविष्य में आगे बढ़ रही है।’ बेटी की खातिर रीवा छोड़ भोपाल आ बसे पिता बेटी की खातिर पिता ने अपना गृहनगर रीवा और अपना काम भी छोड़ दिया। उन्होंने भोपाल में रहकर बेटी को इंसाफ दिलाने की लड़ाई लड़ी। दरअसल, उनकी 15 साल की बेटी महक (परिवर्तित नाम) भोपाल में अपने भाई के घर रहकर पढ़ाई करती थी। तीन साल पहले जब वह रीवा गई तो पड़ोसी युवक ने उसके साथ बलात्कार किया। उसने महक को डराकर चुप रहने को कहा। फिर पता चला, महक चार माह की गर्भवती थी। पिता के शब्दों में ‘मेरे पैरों से जमीन निकल गई थी। सब जानना चाहते थे किसने किया, लेकिन मुझे तो उसके स्वास्थ्य और भविष्य की चिंता थी। सबने कहा, बेटी से दस साल बड़े निकम्मे आरोपी से उसकी शादी करा दूं। सबके विरोध के बाद भी गर्भपात कराया और उस लड़के के खिलाफ केस भी लगाया। इस दौरान बेटा-बहू घर से अलग हो गए। मैंने बेटी से बुरा सपना समझ भूलने और पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा। अब वह सीएस की तैयारी कर रही है। आरोपी को सजा मिलने के बाद उसका आत्मविश्वास और बढ़ गया है।