
नई दिल्ली। यूपीएससी ने 17 अगस्त को 45 पदों के लिए लेटरल एंट्री की वैकेंसी निकाली थी। लेकिन विपक्ष के सवाल उठाने पर इसे रद्द कर दिया गया है। लेटरल एंट्री के जरिए विभिन्न निजी क्षेत्रों के पेशेवरों को सरकारी पदों पर कार्य करने का मौका मिलता है। इसके लिए उन्हें कोई एग्जाम नहीं देना होता है। यूपीएससी के नोटिफिकेशन जारी करने के बाद से ही विपक्ष ने इसका मुखर विरोध किया था।
मंगलवार को डीओपीटी (Department of Personnel & Training) मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन प्रीति सूदन को पत्र लिखकर नोटिफिकेशन रद्द करने को कहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री के आदेश पर यह फैसला लिया है। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, इस आदेश से एक बार फिर संविधान की जीत हुई है।
देखें Letter…
तीन दिन पहले ही निकली थी वैकेंसी
यूपीएससी ने बीते दिनों विभिन्न मंत्रालयों में बतौर ज्वाइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर व डिप्टी सेक्रेटरी नियुक्त करने का विज्ञापन जारी किया था। इसके लिए किसी भी एग्जाम की जरुरत नहीं थी। लेटरल एंट्री के जरिए इन विभिन्न वरिष्ठ पदों पर प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारी आवेदन कर सकते थे। इन पदों पर आईएएस वरिष्ठ के होने के साथ ही पहुंच पाते हैं। ऐसे में सरकार ने निजी कंपनियों में कार्यरत वरिष्ठ लोगों के लिए भी आईएएस बनने की राह आसान कर दी थी।
राहुल गांधी ने किया था विरोध
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने लेटरल एंट्री को लेकर सरकार पर हमलावर हुए थे। उनका कहना था कि यह दलित, ओबीसी और आदिवासियों के हकों पर हमला है। उन्होंने आरोप लगाया था कि नरेंद्र मोदी संघ लोक सेवा आयोग की जगह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जरिए सिविल सर्वेंट्स की भर्ती करना चाहते हैं। यह संविधान पर हमला कर है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा था कि मोदी सरकार की लेटरल एंट्री योजना आरक्षण प्रावधानों के खिलाफ है। है। खरगे का दावा था कि एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस के पदों अब आरएसएस के लोगों की नियुक्ति की जाएगी।
क्या होती है लेटरल एंट्री ?
आसान शब्दों में कहें तो बिना एग्जाम के सीधी नियुक्ति करना लेटरल एंट्री कहलाती है। इसमें केंद्र सरकार फाइनेंस, एजुकेशन, एग्रीकल्चर, रेवेन्यू जैसे क्षेत्रों में प्राइवेट सेक्टर के विशेषज्ञों और अनुभवी लोगों की भर्ती करती है। सरकार के मंत्रालयों में ज्वाइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर्स और डिप्टी सेक्रेटरी के पोस्ट लेटरल एंट्री से ही भरे जाते हैं। इसकी शुरुआत 2018 में की गई थी। इस दौरान सरकार ने संयुक्त सचिवों और निदेशकों जैसे वरिष्ठ पदों के लिए आवेदन मंगाए थे।
ये भी पढ़ें- कौन हैं धर्म गुरु रामगिरी महाराज, जिनके एक बयान से मच गया महाराष्ट्र में बवाल, जानें पूरा मामला