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हर 3 में से 2 भारतीय ने माना- देश में अब भी हावी है वीआईपी कल्चर

लोकल सर्किल का दावा- सड़क पर वीआईपी संस्कृति ज्यादा

नई दिल्ली। लोकल सर्किल के एक सर्वे ने वीआईपी कल्चर को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है। सर्वे के मुताबिक देश में आज भी दो-तिहाई लोग यानी हर तीन में से 2 भारतीय मानते हैं कि वीआईपी कल्चर पहले की तरह सिस्टम के लिए परेशानी बना हुआ है। सिर्फ 35 फीसदी लोग ही मानते हैं कि पिछले तीन साल के दौरान वीआईपी कल्चर में कमी आई है। सर्वे के अनुसार भारत में वीआईपी कल्चर आज भी टॉप पर है। 362 जिलों के 46,000 लोगों की राय पर आधारित इस सर्वे में 65% उत्तरदाता पुरुष और 35% महिलाएं थीं। 48 प्रतिशत उत्तरदाता टियर-1, 24 प्रतिशत टियर-2 शहर और 28 प्रतिशत उत्तरदाता टियर-3, 4 और ग्रामीण जिलों से थे।

वीआईपी एंट्री शब्द पब्लिक प्लेस से हटेगा, तब खत्म होगा वीआईपी कल्चर : सर्वे के मुताबिक वीआईपी संस्कृति को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए वीआईपी एंट्री शब्द को पब्लिक प्लेस से हटाना होगा। रेलवे, मंदिर, ट्रेन, फ्लाइट, सुरक्षा में वीआईपी कल्चर खत्म हो। इसके लिए वीआईपी लोगों की संख्या घटानी होगी। गाड़ियों पर वीआईपी स्टीकर बैन करने होंगे।

वीआईपी कल्चर का असर, अफसर कर सकते हैं काम से मना

सर्वेक्षण में शामिल 64 से 65 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि विगत 3 सालों के दौरान वीआईपी संस्कृति कम नहीं हुई है। यह पहले की तरह बरकरार है। यह अब इतना मजबूत हो गया है कि सरकारी प्रतिष्ठानों में कोई अफसर आम जनता को सेवा देने से इंकार भी कर सकता है।

सबसे ज्यादा वीआईपी कल्चर यहां

  • सड़क मार्ग से यात्रा करने वाले 91% लोग मानते हैं कि उन्होंने वीआईपी कल्चर के असर को महसूस किया है।
  • हवाई सफर करने वालों में से 70% व ट्रेन से सफर करने वाले 57% यात्रियों ने माना कि वीआईपी कल्चर अब भी मौजूद है।
  • सरकारी दफ्तरों में कामकाज से जाने वाले 83 फीसदी लोगों का मानना था कि वे वीआईपी कल्चर के शिकार हुए।
  • सार्वजनिक और निजी कार्यक्रमों में शामिल होने वाले 79% और धार्मिक स्थानों पर जाने वाले 73 प्रतिशत लोगों ने इसके चलन में होने की बात स्वीकार की।
  • स्वास्थ्य सेवा संस्थानों में वीआईपी कल्चर के प्रभाव को लेकर पूछे गए सवालों के जवाब में 66% उत्तरदाताओं ने कहा कि हमने इसका असर महसूस नहीं किया।

वीआईपी कल्चर का बुरा असर

  • वीआईपी कल्चर आम आदमी के हितों के खिलाफ काम करती है।
  • यह संस्कृति राजनीति और नौकरशाही दोनों के संरक्षण में आज भी अस्तित्व में है।
  • इससे देश में असमानता को पहले से ज्यादा बढ़ावा मिला है।
  • इसका उपयोग न केवल भेदभाव की भावना पैदा करता है, बल्कि आम आदमी पर अनुचित बोझ भी डालता है।

वीआईपी की अवैध गतिविधियां

सर्वेक्षण में शामिल लोगों से जब पूछा गया कि पिछले 3 वर्षों में वीआईपी द्वारा की जाने वाली कौन सी अवैध गतिविधियां देखीं। इस पर 48% लोगों ने कहा कि सार्वजनिक संपत्ति पर अतिक्रमण किया। 39% लोग समाज-कॉलोनी के तय मानकों का उल्लंघन करते हैं। 26% ने पड़ोस में रहने वाले लोगों द्वारा हंगामा करने, ध्वनि प्रदूषण को बढ़ावा देने, 26% ने कारोबारियों से जबरन वसूली देखी है।

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