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वीआईपी नंबरों के लिए नहीं रही मारामारी, जिनकी कीमत कभी लाखों में थी, अब बेस प्राइज में बिक रहे

दो और चार पहिया वाहनों के नंबरों की सीरीज एक होने से आसानी से मिल रहे पसंद के नंबर

इंदौर। प्रदेश में सबसे अधिक वाहन बिक्री करने वाले शहर में अब वीआईपी नंबरों के लिए अब मारामारी नहीं रही। ऐसा नहीं है कि लोगों का मोह अब वीआईपी नंबरों से भंग हो गया हैं। दरअसल नंबरों के अधिक मात्रा में उपलब्ध होने से अब इन नंबरों के होड़ नहीं मचती और बेस प्राइज पर ही नंबर बिक जा रहे हैं। 2016 से परिवहन विभाग द्वारा वीआईपी नंबरों की नीलामी ऑनलाइन की जाती हैं। जब तक यह काम स्मार्टचिप कंपनी के पास था, तब तक माह में दो बार नीलामी होती थी और हर श्रेणी के वाहन के लिए अलग अलग होती थी।

जिससे नंबर कम उपलब्ध होते थे। लेकिन डेढ़ साल पहले वाहन के पंजीयन की व्यवस्था केन्द्र सरकार के वाहन पोर्टल पर चली गई हैं। इससे अब हर सप्ताह वीआईपी नंबरों की नीलामी होती है। वहीं अब दो पहिया और चार पहिया वाहनों के नंबरों की सीरीज को एक कर दिया गया है। जिससे हर माह नए नंबर उपलब्ध हो जाते हैं। हाल ही में गुरुवार को खत्म हुई नीलामी में भी 52 नंबर बिके, लेकिन किसी पर भी दो दावेदार नहीं थे। इससे सारे नंबर बेस प्राइज पर ही बिक गये।

कभी साढ़े 13 लाख में बिका था 0001 : इंदौर में वाहनों के नंबरों को लेकर काफी के्रज हुआ करता था। 0001 नंबर को कार के लिए लेने के लिए होड़ मचा करती थी, देर रात तक बोली लगती थी यह नंबर साढ़े 13 लाख में बिक चुका है।

यह है अब का नंबरों का हाल

नंबरों की बोली लगाने वाले आरटीओ एजेंट सोनू अग्रवाल का कहना है कि पहले 0001 नंबर के लिए लोग 4-5 लाख तक खर्च करते थे। अब वे खुद बोल देते है, अगली बोली का इंतजार कर लो। हालांकि 0001 बेस प्राइस 1 लाख रुपए में ही कई बार बिक चुका है। दो पहिया वाहन शाखा प्रभारी तेज सिंह अहिरवार बताते है कि अब कार व दो पहिया के लिए एक ही सीरीज है। जो 20 से 25 दिन में सीरीज खत्म हो जाती है। जिससे नए वीआईपी नंबर लोगों के लिए उपलब्ध हो जाते हैं।

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