
उज्जैन। मध्य प्रदेश के उज्जैन में विश्वप्रसिध्द महाकालेश्वर मंदिर में सावन के पहले सोमवार बाबा महाकाल की भस्मारती हुई। देशभर से बड़ी संख्या में दर्शन करने श्रद्धालु पहुंचे। आज सावन का पहला सोमवार है। उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों की सुबह से भीड़ लगी है। भस्म आरती के लिए रात 2.30 बजे महाकाल मंदिर के पट खोले गए। भस्म आरती में भगवान महाकाल का पंचामृत अभिषेक पूजन कर विशेष श्रृंगार हुआ।
भगवान महाकाल का पंचामृत से पूजन
भस्म आरती में भगवान महाकाल का जल अभिषेक करने के बाद दूध, दही, घी, शक्कर, शहद और फलों के रस से बने पंचामृत से पूजन किया गया। भांग, चंदन, सूखे मेवों से बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार कर भस्म अर्पित की गई। इसके बाद रजत का त्रिपुंड, त्रिशूल और चंद्र अर्पित किया गया। शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुंडमाल और रुद्राक्ष की माला के साथ सुगंधित पुष्प से बनी फूलों की माला अर्पित की गई। मोगरे और गुलाब के पुष्प अर्पित कर फल और मिष्ठान का भोग लगाया गया। मान्यता है कि भस्म अर्पित करने के बाद भगवान निराकार से साकार रूप में दर्शन देते हैं।
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— Peoples Samachar (@psamachar1) July 10, 2023
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं महाकाल
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक दक्षिण मुखी महाकाल। मंदिर में भस्मआरती के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे ओर बाबा महाकाल का दर्शन लाभ लिया। शाम 4 बजे भगवान महाकाल शहर भ्रमण पर निकलेंगे। पहली सवारी में भगवान श्री मनमहेश के रूप में दर्शन देंगे। पहले पुलिस बैंड और सशस्त्र बल की टुकड़ी भगवान महाकाल को गार्ड ऑफ ऑनर देगी। इसके पश्चात सवारी महाकाल चौराहे से गुदरी चौराहा, कार्तिक चौक, हरसिद्धि होते हुए रामघाट पहुचेगी। शिप्रा नदी पर मां क्षिप्रा के जल से बाबा महाकाल के अभिषेक-पूजन किया जाएगा। यहां से सवारी श्री महाकालेश्वर मंदिर वापस आएगी। सावन के प्रत्येक सोमवार को महाकाल राजा की सवारी निकालने का विधान है। इस साल अधिक मास होने से कुल 10 सवारी निकाली जाएंगी। इनमें 8 सवारी सावन महीने और दो सवारी भादों में निकाली जाएंगी। मंदिर समिति ने चलित भस्म आरती दर्शन व्यवस्था देकर दर्शन कराए।
(इनपुट – हेमंत नागले)