
मनीष दीक्षित, भोपाल। मध्यप्रदेश में सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बनाने वाले सिंह चौहान के खिलाफ आया अविश्वास प्रस्ताव गुरुवार को रस्म अदायगी के साथ गिर गया। 16 साल में यह दूसरा मौका था, जब उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया। यानी शिवराज सिंह चौहान का नाम उन मुख्यमंत्रियों में शामिल है, जिनके खिलाफ कम अविश्वास प्रस्ताव आए। जाहिर है सदन में अधिक संख्याबल के चलते इस अविश्वास के हश्र से सभी अवगत थे।
शिवराज ने विपक्ष के आरोपों का दिया जवाब
शिवराज सिंह चौहान ने विपक्ष के आरोपों का सिलसिलेवार जवाब दिया। वहीं, विपक्षी दल कांग्रेस इस बात से संतोष कर सकती है कि वह जनता के सामने कई मुद्दे उठाने में सफल रही। इसी प्रकार सरकार इस बात पर अपनी पीठ थपथपा सकती है कि उसने सदन के सामने अधिकांश मुद्दों की हवा निकाल दी। पक्ष और विपक्ष को अपनी ताकत और कमजोरियों का अहसास भी इस प्रस्ताव से हो गया होगा। चूंकि, विधानसभा चुनाव में एक साल से भी कम समय बचा है, इसलिए दोनों ही पार्टियों का मुख्य फोकस अब सदन की जगह सड़कों पर होगा।
विधानसभा में 28 बार अविश्वास प्रस्ताव आए
विधानसभा में अब तक 28 बार अविश्वास प्रस्ताव आ चुका है। यदि इन प्रस्तावों के इतिहास पर गौर करें तो सबसे अधिक 5 बार विपक्ष ने अर्जुन सिंह की सरकार पर अविश्वास प्रकट कर यह प्रस्ताव लाया गया था। यह 5 अविश्वास प्रस्ताव उनके लगभग 5 वर्षों के कार्यकाल में आए। उनके बाद अविश्वास प्रस्ताव का सामना द्वारका प्रसाद मिश्र ने अपने लगभग 3 वर्षीय कार्यकाल में किया। उनकी सरकार के खिलाफ 4 अविश्वास प्रस्ताव सदन में आए।
10 सालों में दिग्गी के खिलाफ 3 अविश्वास प्रस्ताव
मध्यप्रदेश में 10 वर्षों तक सरकार चलाने वाले दिग्विजय सिंह के खिलाफ 3 बार अविश्वास प्रस्ताव लाए गए। अगस्त 1998 में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष विक्रम वर्मा द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर अब तक सबसे अधिक समय तक बहस हुई। यह बहस 58 घंटे तक चली थी। इसी प्रकार कैलाशनाथ काटजू, गोविंदनारायण सिंह, श्यामाचरण शुक्ल, प्रकाश चंद्र सेठी, मोतीलाल वोरा, सुंदरलाल पटवा और शिवराज सिंह चौहान की सरकारों के खिलाफ दो – दो बार यह प्रस्ताव लाया गया। भगवंत राव मंडलोई और वीरेंद्र कुमार सकलेचा को भी एक बार अविश्वास का सामना करना पड़ा।
इन मुख्यमंत्रियों के समय नहीं आए अविश्वास प्रस्ताव
अभी तक जितने भी मुख्यमंत्री रहे हैं, उनमें मात्र रविशंकर शुक्ल, कैलाश जोशी, बाबूलाल गौर और उमा भारती ही ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिनके खिलाफ कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं आया।
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