
सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10% आरक्षण के प्रावधान को बरकरार रखा है। 5 न्यायाधीशों में से 3 ने EWS आरक्षण के सरकार के फैसले को संवैधानिक ढांचे का उल्लंघन नहीं माना है। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने पक्ष में फैसला सुनाया है, जबकि चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस रवींद्र भट्ट ने EWS के खिलाफ फैसला सुनाया है।
कब लागू हुआ था EWS आरक्षण
दरअसल, केंद्र सरकार ने संविधान में संशोधन कर सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया था। जनवरी 2019 में 103वें संविधान संशोधन के तहत शिक्षा और सरकारी नौकरियों में EWS आरक्षण लागू हुआ। तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी DMK सहित कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इसे चुनौती दी थी।
27 सितंबर को कोर्ट ने सुरक्षित रखा था फैसला
इस मामले में कई याचिकाओं पर लंबी सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने 27 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसके बाद 7 नवंबर को 5 जजों की बेंच में 3 जजों ने EWS आरक्षण के समर्थन में फैसला सुनाया। जबकि चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस रविन्द्र भट ने EWS आरक्षण पर असहमति जताई।
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CJI यूयू ललित का SC में आज आखिरी दिन
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस यूयू ललित का सुप्रीम कोर्ट में आज आखिरी दिन है। उनका कार्यकाल 8 नवंबर को पूरा हो रहा है। वे महज 74 दिनों के लिए ही CJI बने। जस्टिस यूयू ललित ने देश के 49वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में 27 अगस्त को शपथ ली थी। वहीं अब 9 नवंबर को जस्टिस चंद्रचूड़ देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ लेंगे।