भोपालमध्य प्रदेश

MP में शराब की नई पॉलिसी का विरोध: भोपाल-इंदौर समेत 17 जिलों में दुकानें बंद, 5 करोड़ के नुकसान का अनुमान

भोपाल। एमपी में नई आबकारी नीति का शराब ठेकेदारों द्वारा विरोध किया जा रहा है। भोपाल में शराब ठेकेदार हड़ताल पर उतार आए हैं। इसके चलते शुक्रवार को अधिकांश शराब दुकानों के ताले नहीं खोले गए। राजधानी में ठेकेदार आबकारी मंत्री के बंगले पर भी पहुंचे और ज्ञापन सौंपा। बताया जा रहा है कि इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर समेत 17 जिलों में भी विरोध है।

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छापा मारकर कई दुकानें सील की गई थी

जानकारी के अनुसार, आबकारी विभाग के अफसरों ने गुरुवार रात भोपाल की शराब दुकानों की चेकिंग के दौरान कुछ दुकानों को सील कर दिया था। इसी से नाराज शराब ठेकेदारों ने शुक्रवार को अपना विरोध जताते हुए सड़क पर उतर आए। ठेकेदारों के कहना है कि अफसरों ने रूटीन चेकिंग के बहाने छापा मारकर कई दुकानें सील कर दी। दुकानों की चेकिंग के दौरान शराब की बिक्री भी नहीं कर पाए। इसके विरोध में दुकानें बंद की गई हैं। इंदौर में भी ऐसी ही स्थिति बनी हुई है। शराब ठेकेदारों के कहना है कि एमपी में नई शराब पॉलिसी सही नहीं है।

सरकार को होगा 5 करोड़ का नुकसान

शराब नहीं बिकने से करीब 5 करोड़ रुपए के राजस्व का सरकार को नुकसान होगा। हालांकि शराब ठेकेदारों की नाराजगी के बावजूद राजधानी में कुछ दुकानें खुली हुई भी हैं। जहां पर विभाग का अमला चेकिंग में लगा है। इससे शराब की बिक्री नहीं हो रही है।

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भोपाल में 90 में से 32 दुकानों के हुए ठेके

हालांकि, कई जिलों में ठेकेदार दुकानें लेने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। एवरेज 17 से 20% दुकानें ही नीलाम हो पाई है। भोपाल में शराब की 90 दुकानें है जिनमें से सिर्फ 32 दुकानें ही नीलाम हो सकी है। 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 तक की अवधि के लिए ई-टेंडर की प्रोसेस 11 फरवरी को हुई थी। ठेकेदारों का कहना है कि विभाग ने इस बार 25% रिजर्व प्राइस बढ़ा दिया। जिससे घाटा अधिक हो रहा। वहीं, देशी और अंग्रेजी शराब एक ही दुकानों पर बेचने की शर्त भी है।

शराब ठेकेदारों ने आबकारी मंत्री के बंगले पर पहुंचकर ज्ञापन सौंपा।

आबकारी मंत्री के बंगले पर पहुंचे शराब ठेकेदार

नई शराब पॉलिसी और दुकानें बंद कराने के विरोध में भोपाल में प्रेस वार्ता में मप्र आबकारी संघ के पदाधिकारियों ने जानकारी दी। संघ के प्रेसिडेंट ऋषिकांत शर्मा, केपी सिंह, अजय शिवहरे आदि ने नई शराब नीति और दुकानों पर हो रही कार्रवाई को गलत बताया। इससे पहले शराब ठेकेदार आबकारी मंत्री के बंगले पर भी पहुंचे और ज्ञापन सौंपकर गुहार लगाई।

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इस कारण नई पॉलिसी में विरोध

पॉलिसी में 3 ऐसे बिंदू है, जो ठेकेदारों के लिए मुश्किल पैदा कर रहे हैं। मप्र में शराब की नई पॉलिसी के तहत अब देशी-अंग्रेजी शराब एक ही दुकान से बेची जाएगी। ठेकेदारों का मानना है कि इससे बिक्री पर असर पड़ेगा। मार्जिंग कम होने से डायरेक्ट-इनडायरेक्ट होने वाले खर्च को वहन नहीं कर सकेंगे। माल उठाने की पाबंदियां की गई हैं। इससे मुश्किलें खड़ी होंगी। ठेकेदारों का कहना है कि नई पॉलिसी के चलते ठेके नीलाम नहीं हो रहे हैं। इसके चलते विभाग ठेकेदारों पर दवाब बना रहा है। बता दें कि भोपाल में 90 में से केवल 32 दुकानें ही नीलाम हो सकी हैं।

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