कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस है। इस साल 2 नवंबर को धनतेरस का पर्व मनाया जा रहा है। धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी के साथ धन के देवता कुबेर, भगवान गणेश, यमदेव और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। धनतेरस के दिन सोने-चांदी कि चीजें और बर्तन खरीदने की परंपरा होती है। ऐसा कहा जाता है धनतेरस के शुभ अवसर और मुहूर्त पर नया कार्य करने और खरीदारी से इसमें तेरह गुना की वृद्धि होती है। तो चलिए आपको बताते हैं खरीदारी का शुभ मुहूर्त-
धनतेरस पूजा विधि
ऐसी मान्यता है कि धनतेरस के दिन से ही माता लक्ष्मी सभी पर अपनी शुभ कृपा बरसाने लगती हैं। धनतेरस के दिन यानी कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे ऐसे में इस दिन सुबह इनकी षोडशोपचार विधि की पूजा करनी चाहिए। शाम के समय घर के हर कोनों में घी और सरसों के तेल का दीपक जलाकर रखें। धनतेरस पर घर के दक्षिण दिशा में भगवान यम के नाम का दीपक जरूर रखें।
- धनतेरस तिथि- 2 नवंबर 2021, मंगलवार
- प्रदोष काल- शाम 05 बजकर 35 मिनट से रात 08 बजकर 11 मिनट तक।
- वृषभ काल- शाम 06 बजकर 18 मिनट से शाम 08 बजकर 14 मिनट तक।
- धनतेरस पूजन मुहूर्त- शाम 06 बजकर 18 मिनट से रात 08 बजकर 11 मिनट तक।
खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त
- त्रिपुष्कर योग: सुबह 06.06 बजे से 11.31 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11.11 बजे से 11.56 बजे तक
- अमृत मुहूर्त: दोपहर 11.33 बजे से 12.56 बजे तक
- शुभ योग: दोपहर 2.20 बजे से 3.43 बजे तक
- वृष लग्न: शाम 6.18 बजे से रात 8.14 बजे तक
भगवान धन्वंतरि की आरती
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय धन्वं.।।
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकट आकर दूर किए।।जय धन्वं.।।
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।जय धन्वं.।।
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।जय धन्वं.।।
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।जय धन्वं.।।
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।जय धन्वं.।।
धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।जय धन्वं.।।