
शहीद भवन में शनिवार शाम रंगश्री लिटिल बैले ट्रूप द्वारा ह्यूमन पपेट शैली में ‘रामायण’ का मंचन हुआ। इस शो की खास बात यह है कि 72 साल पुराने कॉस्ट्यूम, स्टेज और संगीत के साथ 12 कलाकारों ने रामायण के 52 किरदारों को निभाकर विभिन्न प्रसंगों को जीवंत किया और मनुष्य का कठपुतली में रूपांतरण प्रस्तुत किया। एलबीटी के कलाकारों ने इस ऐतिहासिक शो की प्रस्तुति दी तो मंच रंग-बिरंगी पोशाक, महल की आकृति में बने सेट और कठपुतली के नृत्य से मनमोहक नजर रहा था। कलाकारों ने फुल मास्क पहनकर बिना देखे स्टेप काउंट और मार्किंग के जरिए पौने दो घंटे की प्रस्तुति दी। निर्देशक स्वर्गीय शांतिबर्धन ने इस नाटक का पहला शो 1953 में किया था। इसके बाद से इस शो का मंचन 36 देशों में हुआ। दुनिया भर में इस नाटक के डेढ़ हजार शो हो चुके हैं।
राम विवाह से लेकर राज्याभिषेक तक के प्रसंग
शो की कहानी राम विवाह से शुरू होती है, जहां पूरी बारात कठपुतली शैली में मंच पर आती है। इसके बाद अयोध्या में राम के अभूतपूर्व स्वागत और तैयारियों के बीच अचानक मंथरा और कैकेयी के कारण दशरथ विवश होकर राम को वनवास देते हैं, जिससे एक ही दृश्य में हर्ष और विषाद का मिलाजुला प्रभाव नजर आता है। कठपुतली बने कलाकारों के चेहरों पर चौकोर मुखौटे और शारीरिक भाषा यंत्रवत नजर आई है। प्रस्तुति में राम वनवास, शूर्पणखा प्रसंग, सीता हरण, राम जटायु युद्ध, लंका दहन, राम रावण का सैना संग्राम, रावण वध और राम के अयोध्या आकर राजतिलक तक चलती है, इस तरह मंचन का मांगलिक समापन होता है।
मेरा यह 63वां शो
यह मेरा 63 वां शो है। सन् 2008 से मैं राम का किरदार निभा रहा हूं। पहले में जटायु का रोल करता था। एलबीटी से मैं सन् 1984 से जुड़ा हुआ हूं। इस शो के मुझे सारे डायलॉग तक याद हो चुके हैं। -प्रताप महंता, कलाकार
सीता का करती हूं रोल
मैं पिछले 23 साल से सीता का किरदार निभा रही हूं। एलबीटी से मैं सन् 1988 से जुड़ी हुई हूं। सीता का रोल सन् 2000 से कर रही हूं। गुलबर्धन जी ने मुझे कठपुतली की तरह मंचन करना सिखाया है। -दीप्ति महंता, कलाकार
मंच पर
प्रताप महंता, दीप्ति महंता, दयानिधि, अपूर्व दत्त मिश्रा, संजय इंग्ले, मोनिका पांडे एवं मधुस्मिता आदि।