
इंदौर। अन्नपूर्णा थाना क्षेत्र में नकली नोट छापकर बाजार में चलने वाले एक गिरोह के पांच सदस्य गिरफ्तार हुए थे। नोट छापने वाले मुख्य सरगना की अपराध कुंडली इंदौर पुलिस अब NASIF (नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम) की सहायता से उसकी अन्य जानकारी जुटा रही है।
आरोपी ने वर्ष 2020 में अपनी पहचान खत्म करने के लिए अपने आप को मृत बता दिया था और मौत का सर्टिफिकेट बनकर वह दूसरे पहचान के आधार कार्ड पैन कार्ड बनाकर इंदौर शहर में रह रहा था। इस कारण से पुलिस अब उसकी फिंगरप्रिंट की सहायता से अपराध कुंडली निकाल रही है। जिसमें आरोपी द्वारा मुंबई में कार चोरी करना और इंदौर के कुछ थानों में उसके पुराने अपराध भी निकले हैं। नोट छापने के मुख्य सरगना के अब तक आधा दर्जन अपराध की कुंडली निकल चुकी है। वहीं इसके अन्य अपराधों की भी अब जानकारी जुटाई जा रही है।
देवास, भोपाल और मुंबई के भी निकले मामले
एडिशनल डीसीपी अभिनय विश्वकर्मा द्वारा बताया गया कि नकली नोट छापने वाला सरगना राजेश बरपेते निवासी बैतूल से पुलिस पूछताछ कर रही है। राजेश ने अपना मृत्यु प्रमाण पत्र बना लिया था और अपनी पहचान अशोक चौहान के नाम से बना ली थी। इस कारण से पुलिस को नाम के आधार पर आरोपी के पुराने अपराध नहीं मिल रहे हैं। पुलिस को आरोपी के 2 देवास और 1 भोपाल के कुछ अपराध मिले थे, लेकिन NASIF की सहायता मुंबई में एक कार चोरी का मामला सामने आया है। वहीं तुकोगंज इंदौर में एक अपराध निकला और बैतूल में भी आरोपी के अपराध निकले। बैतूल में किसी गाड़ी एक्सीडेंट में आरोपी का नाम फिंगरप्रिंट की सहायता से सामने आया। वही तुकोगंज थाना क्षेत्र में एक फर्जी तरीके से बाइक फाइनेंस करने का मामला भी सामने आया।
नोटों को एकत्र करना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती
पुलिस द्वारा आरोपी की अभी अपराध कुंडली तैयार की जा रही है। क्योंकि, बदमाशों ने अब तक 20 लाख रुपए के नोट बाजार में आसानी से चल दिए हैं। अब उन नोटों को वापस से एकत्र करना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती। पुलिस ने छापे के दौरान कागज और रो मटेरियल आरोपी के फ्लैट से जब्त किए थे। वहां पर इतना सामान मौजूद था कि आरोपी आराम से 50 लाख रुपए के नकली नोट छाप सकता था।
बड़े प्रिंटर को कराया था फाइनेंस
आरोपी को जब अन्नपूर्णा पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था तो उसके पास से एक नोट छापने का सबसे बड़ा प्रिंटर मिला था। जिसकी कीमत ढाई से तीन लाख बताई जा रही है। आरोपी द्वारा एक निजी बैंक से फाइनेंस करवाया गया था। उससे ही वह आराम से नोटों को छाप लिया करता था। बॉन्ड पेपर पर यह नोटों की प्रिंटिंग कर उसे बाजारों में चलाया जाता था, लेकिन जितनी भी मशीन आरोपी के पास से जब्त हुई थी उसे वह कैश में ना लेते हुए बैंकों से फाइनेंस कराकर किस्तों पर लिया करता था।
क्या है NAFIS ?
नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (NAFIS) देश के 18 राज्यों में वर्ष 2022 में आया था। इसमें स्पॉट से मिले फिंगरप्रिंट को अपलोड करने पर सभी जानकारियां सॉफ्टवेयर के माध्यम से मिल जाती है। NAFIS का निर्माण नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा किया गया है। यह देश के 18 राज्यों में जनवरी 2022 में लॉन्च किया गया था। इसमें मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, कर्नाटक, कोलकाता, आंध्र प्रदेश, दिल्ली आदि राज्य शामिल हैं। कई बार ऐसे केस को इस नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम से खोला गया है, जो कि कई वर्षों से बंद पड़े हैं। इसके बाद कुछ ऐसे अनसुलझे अपराधों की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस अब NAFIS की सहायता लेती है।
(इनपुट- हेमंत नागले)