
रील्स बनाने के चक्कर में कई बार लोग अपनी जान गंवाते हैं तो कई अपनी जान को खतरे में डाल देते हैं। अपना रील को हिट करने के लिए लोग हर वो फार्मूला अपना रहे हैं जिससे उनके व्यूज और लाइक्स मिलियन में पहुंच जाएं लेकिन रील का रियल लाइफ पर असर खतरनाक हैं। मनोचिकित्सकों के पास ऐसे मामले आ रहे हैं जिसमें काउंसलिंग करने पता चलता कि असल कारण एक दिन में 100 से 300 रील तक देख डालने की लत है, तो वहीं हर दिन रील बनाने के कारण शारीरिक व मानसिक थकान के होने लगती है जिससे पढ़ाई में अरुचि और प्रोडक्टिविटी घटने लगती है। यह बिहेविरिअल एडिक्शन है जिसका नतीजा, अनिद्रा, थकान, सिरदर्द रूप में सामने आता है। वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे के मौके पर रील बनाने और देखने की लत पर साइकेट्रिस्ट से बात।
केस-1
बाथरूम में बैठकर 14 साल का बच्चा रील देखने लगा क्योंकि उसकी मां उसे रील देखने पर डांटती थी। कुछ समय पहले उसे काउंसलिंग के लिए लाया गया तो पता चला कि वो रील देखने के चक्कर में घंटे भर बाथरूम में बैठा रहता था और बाकी समय उसे नींद आती रहती है।
केस-2
एक केस में बच्चे को काउंसलिंग के लिए लाया गया लेकिन गलती माता-पिता की निकली। पेरेंट्स जब भी घर पर होते वे बच्चे के सामने रील देखते रहते जिससे उसे समय नहीं मिल पाता और वो चिड़चिड़ा होने लगा। बच्चे ने बताया कि माता-पिता उस पर ध्यान न देकर पूरे समय रील देखते हैं या वैसी बनाने की कोशिश करते हैं।
रील देखते रहने के बिहेविरिअल एडिक्शन के दिखते हैं यह असर
- पढ़ाई व काम में मन न लगना।
- स्कूल की एक्टिविटी में आनंद न आना।
- रील देखते समय अच्छा महसूस करना बाकी समय बोरिंग वाली फीलिंग आना।
- सिरदर्द, सिर में भारीपन, चश्मे का नंबर बढ़ना।
- नींद पूरी न होना या ज्यादा नींद आना।
- बैचेनी होना, ग्लानि महसूस होना।
सोशल मीडिया घटा रहा प्रोडक्टिविटी
बच्चों, युवाओं से लेकर 50 वर्ष की उम्र तक लोगों में रील देखने की लत लग चुकी है जो कि उनकी मेंटल हेल्थ को प्रभावित कर रही है। सोशल मीडिया लगातार लोगों की प्रोडक्टिविटी घटा रहा है। हम देखते हैं कि कभी सिग्नल पर खड़े होकर तो कभी सड़क किनारे खड़े होकर रील बनाते लोगों को देखकर वाहन चालकों का संतुलन बिगड़ जाता है तो कभी रील बनाने वाला अपनी जान जोखिम में डाल लेता है। ऐसा करने वाले लगभग 20-25 फीसदी लोग देर रात नींद खुलने पर दोबारा रील्स देखने लगते हैं, जिसकी वजह से उनमें नींद देर से खुलना, ऑफिस देर से पहुंचना, दिनभर सिर भारी-भारी रहना और चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएं बढने लगीं जो कि आगे जाकर मनासिक बीमारी का रूप लेंगी। -डॉ. आरएन साहू, मनोचिकित्सक
पहले बड़े अपने ऊपर रोक लगाएं
मेरे पास ऐसे केस आ रहे हैं जिसमें एक व्यक्ति दिन में 200 से 300 रील तक देख डालता है। लोग दिन के तीन से पांच घंटे रील बनाने में बर्बाद कर रहे हैं। रील देखने को बिहेविरिअल एडिक्शन कहते हैं और रील बनाने के एडिक्शन को नॉवेलिटी सिकिंग एडिक्शन कहते हैं। केस सीधे तौर पर रील को लेकर नहीं आता बल्कि यह गुस्सा आना, चिड़चिड़ापन, सिर में भारीपन या रील देखने के गिल्ट के रूप में सामने आता है। कई मरीज कहते हैं कि यदि वे रील न देखें तो अजीब महसूस करते हैं और फिर जब ग्लानि होती है कि समय बर्बाद कर रहे हैं तो उन्हें डिप्रेशन महसूस होता है। पहले घर के बड़ों को रील की लत छोड़ना होगी तभी बच्चे इसे छोड़ सकेंगे, नहीं तो यह लत मानसिक रोग का रूप ले लेती है। -डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी, मनोचिकित्सक
(इनपुट-प्रीति जैन)