
नई दिल्ली। खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के बीच चल रहा तनाव अपने चरम पर है। कनाडा ने भारत पर आरोप लगाया है कि भारतीय एजेंट्स उसकी जमीन पर हत्या में संलिप्त हैं। हालांकि, भारत ने इन आरोपों को निराधार बताया है। भारत ने अपने सभी राजनयिकों को कनाडा से वापस बुला लिया है, साथ ही कनाडा के 6 राजनयिकों को भारत छोड़ने को कहा है। कनाडा ने भारत पर सहयोग न करने का आरोप लगाया है। ट्रूडो ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि भारत के साथ चल रहे इस मामले को लेकर उसने फाइव आईज (अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड) के सहयोगियों के साथ जानकारी साझा की है। इसे लेकर फाइव आईज देशों की भी प्रतिक्रिया आई है। अमेरिका और न्यूजीलैंड जैसे देश भारत के खिलाफ प्रत्यक्ष रूप से टिप्पणी करने से बच रहे हैं, लेकिन भारत के जांच में सहयोग न करने पर चिंता जताई है।
भारत और कनाडा के बीच विवाद
इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया कि भारत के राजनयिक और एजेंट्स कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल हैं। यह आरोप ट्रूडो ने 18 सितंबर 2023 को लगाया था। इसके साथ ही उसने भारत के एक सीनियर डिप्लोमैट को निकाल दिया था। इसके जवाब में अगले ही दिन 19 सितंबर को भारत ने भी कनाडा के एक सीनियर डिप्लोमैट को निकाल दिया था। भारत ने कनाडा के सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह ट्रूडो सरकार का राजनीतिक षड्यंत्र है और उनके आरोप वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा हैं।
भारत ने पलटवार करते हुए कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा समेत कई राजनयिकों को वापस बुला लिया और 6 कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया। भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि मौजूदा ट्रूडो सरकार पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
सहयोग न करने पर चिंता- अमेरिका
फाइव आईज संगठन में कनाडा का प्रमुख सहयोगी अमेरिका है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने हालिया प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि भारत ने कनाडा की जांच में सहयोग नहीं किया है। मिलर ने कहा, “हमने भारत से स्पष्ट कर दिया है कि कनाडा के आरोप बहुत गंभीर हैं और इन्हें गंभीरता से लेना चाहिए। हम चाहते थे कि भारत जांच में सहयोग करे, लेकिन उसने वैकल्पिक रास्ता चुना।”
हालांकि, अमेरिका ने यह भी साफ किया कि भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक अहम साझेदार बना रहेगा। चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए अमेरिका भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत बनाए रखना चाहता है।
न्यूजीलैंड ने रखा संतुलित रुख
न्यूजीलैंड ने कनाडा के आरोपों पर टिप्पणी करते हुए संतुलित प्रतिक्रिया दी है। न्यूजीलैंड के उप प्रधानमंत्री विंस्टन पीटर्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, “अगर कनाडा के आरोप सिद्ध हो जाते हैं, तो यह बेहद चिंताजनक होगा।” हालांकि, पीटर्स ने अपने बयान में भारत का नाम नहीं लिया और जांच के नतीजों का इंतजार करने पर जोर दिया।
भारत के खिलाफ टिप्पणी से बचा ब्रिटेन
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने भी इस मुद्दे पर जस्टिन ट्रूडो से बात की है। हालांकि, ब्रिटेन ने भी सार्वजनिक रूप से भारत के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष बयान देने से परहेज किया। ब्रिटेन का बयान केवल कानून के शासन और न्यायिक प्रक्रियाओं के पालन की आवश्यकता पर केंद्रित रहा। ब्रिटेन के लिए भारत एक अहम व्यापारिक साझेदार है और दोनों देश जल्द ही मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को अंतिम रूप देने की तैयारी में हैं।
ऑस्ट्रेलिया ने कूटनीति के तहत बरती सावधानी
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारत-कनाडा विवाद पर सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया। अल्बनीज ने कहा, “मैं प्रधानमंत्री ट्रूडो और अन्य अंतरराष्ट्रीय नेताओं से लगातार बात करता हूं, लेकिन हमारी सरकार इन मुद्दों पर सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करती।” ऑस्ट्रेलिया की विदेश नीति का भी यही रुख रहा है। देश के विदेश एवं व्यापार विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया सभी देशों की संप्रभुता और कानून के शासन का सम्मान करता है।
पर्दे के पीछे चल रही कूटनीति
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका इस मामले में सार्वजनिक आलोचना के बजाय बैकडोर कूटनीति अपना रहा है। एशिया पैसिफिक फाउंडेशन ऑफ कनाडा की वीना नदजीबुल्ला ने एक इंटरव्यू में कहा, “अमेरिका ने यह अनुमान लगाया है कि सार्वजनिक आलोचना से ज्यादा असरदार बैकडोर बातचीत होगी और यही रणनीति अपनाई जा रही है।”
क्या है फाइव आईज
फाइव आईज अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का खुफिया संगठन है। इस संगठन के देशों के बीच यह संधि है कि अगर उनके क्षेत्र में कोई संदिग्ध गतिविधि होती है जिससे किसी सदस्य देश को खतरा हो तो वो जानकारी साझा करेंगे। इस संगठन में पांच देशों की 20 खुफिया एजेंसी एक साथ मिलकर काम कर रही हैं और इसे दुनिया के सबसे ताकतवर इंटेलिजेंस नेटवर्क में से एक माना जाता है।