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लद्दाख के करीब चीन ने बनाए दो नए काउंटी, केंद्र सरकार ने कहा- भारतीय क्षेत्र पर चीन का अवैध कब्जा स्वीकार नहीं

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को संसद में जानकारी दी कि चीन ने शिनजियांग के होतान इलाके में दो नए काउंटी बनाए हैं, जिनमें कुछ क्षेत्र भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख से जुड़े हुए हैं। सरकार ने इस पर डिप्लोमेटिक तरीके से कड़ा विरोध दर्ज कराया है और स्पष्ट किया है कि भारत अपनी जमीन पर चीन के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं करेगा।

लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि इन नए काउंटियों के निर्माण से भारत की स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ेगा और चीन के अवैध कब्जे को कोई वैधता नहीं मिलेगी।

चीन में काउंटी एक प्रशासनिक इकाई

चीन में काउंटी एक प्रशासनिक इकाई होती है, जिसे श्येन कहा जाता है। यह नगर पालिकाओं के नीचे की प्रशासनिक यूनिट होती है और इसे कस्बे के बराबर माना जा सकता है। किसी काउंटी में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्र शामिल हो सकते हैं। शिनजियांग प्रांत के होटान इलाके में दो नई काउंटी हेआन और हेकांग बनाई गई हैं। भारत ने पहले ही इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा था कि इनमें शामिल कुछ इलाके भारत के लद्दाख क्षेत्र का हिस्सा हैं और चीन का दावा पूरी तरह अवैध है।

भारत ने पहले भी जताई थी आपत्ति

पिछले साल दिसंबर 2024 में चीन ने इन दोनों नई काउंटियों के निर्माण का ऐलान किया था। भारत ने तब ही इस पर स्पष्ट आपत्ति जताई थी और कहा था कि चीन का यह कदम अवैध और अस्वीकार्य है। इतना ही नहीं, चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर एक नया डैम बनाने की भी घोषणा की थी, जिस पर भी भारत ने कड़ा विरोध जताया था। भारत का कहना है कि चीन इस तरह के कदम उठाकर क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

सीमा के करीब इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास पर जोर

विदेश मंत्रालय से यह भी पूछा गया था कि क्या भारत सरकार इस मुद्दे को हल करने के लिए कोई रणनीतिक और कूटनीतिक उपाय कर रही है। इस पर विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि सरकार को इस गतिविधि की पूरी जानकारी है और चीन सीमा के करीब बुनियादी ढांचे के विकास पर कड़ी नजर रखी जा रही है।

सरकार ने यह भी कहा कि भारत भी अपनी सीमा से लगे इलाकों में बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान दे रहा है। इस कदम का उद्देश्य सिर्फ विकास कार्यों को गति देना ही नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा और सामरिक जरूरतों को भी पूरा करना है।

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