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Independence Day 2022: ‘गरम हवा’ से लेकर ‘गदर’ तक… बंटवारे के दर्द को बयां करती हैं बॉलीवुड की ये फिल्में

भारत आज आजादी की 75वीं वर्षगांठ का जश्न मना रहा है। लंबी लड़ाई के बाद सन 1947 में भारत को मिली आजादी के साथ ही देश को ऐसा घाव भी मिला, जो शायद कभी ना भर पाए। ब्रिटिश हुकूमत से देश को मिली आजादी के बाद भारत को दो भागों में बांट दिया गया. एक तरफ आजादी का जश्न तो दूसरी ओर बंटवारे के बाद हुई हिंसा का दर्द। बंटवारे के बाद हुए दंगों और उसके बाद लोगों के विस्थापन को इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी माना जाता है। इस खास मौके पर जानते हैं बॉलीवुड में बनी फिल्मों के बारे में जिसमें दंगे और बंटवारे के गहरे घाव और दर्द को दिखाया गया है।

गरम हवा

गरम हवा

विभाजन के बाद देश के हालात किस तरह बदले और बिगड़े। इसपर भारत के साथ पाकिस्तान के फिल्मकारों ने भी उसी दौर में कुछ फिल्में बनाई थीं लेकिन जो फिल्म सबसे ज्यादा सुर्खियों में आई, वह है- ‘गरम हवा’। देश विभाजन के करीब 25 बरस बाद 1973 में प्रदर्शित ‘गरम हवा’ इस्मत चुगताई की एक लघुकथा पर आधारित थी। जिसकी पटकथा कैफी आजमी और शमा जैदी ने लिखी थी। बंटवारे और महात्मा गांधी की हत्या के बाद बदले हालातों पर बनी यह फिल्म खासतौर पर उत्तर भारत के मुस्लिम व्यापारियों के दर्द को बयां करती है।

तमस

तमस

भीष्म साहनी का उपन्यास तमस उनके सबसे लोकप्रिय उपन्यास में से एक है। कहा जाता है कि यह 1947 के रावलपिंडी दंगों की सच्ची कहानी को बयां करती है। अपने इस उपन्यास के लिए उन्हें साहित्य अकादमी सम्मान भी मिला था। साल 1988 में आई फिल्म तमस राष्ट्रीय एकता पर आधारित थी। इस उपन्यास पर बनी फिल्म तमस निर्देशक गोविंद निहलानी के करियर की बेहतरीन फिल्म थी। फिल्म में दंगों के माहौल में पाकिस्तान में फंसे हिंदू और सिख परिवारों के दर्द को भी बखूबी दिखाया गया है।

ट्रेन टू पाकिस्तान

1956 में खुशवंत सिंह के लिखे उपन्यास ट्रेन टू पाकिस्तान पर आधारित इसी नाम की फिल्म भारत-पाकिस्तान सीमा बसे एक काल्पनिक गांव मनो माजरा पर आधारित है। फिल्म में दिखाया गया यह एक ऐसा शांत गांव है, जहां सिख और मुसलमान वर्षों से प्रेम भाव से रह रहे हैं। लेकिन जब देश का बंटवारा होता है तो सांप्रदायिक दंगों में यह गांव और उसकी शांति सब कुछ खत्म हो जाता है। इसके पैरेलल एक प्रेम कहानी भी चलती है, जो एक मुस्लिम लड़की और उसके डकैत प्रेमी के रिश्तों पर आधारित है।

पिंजर

पिंजर

साल 2003 में आई फिल्म पिंजर बंटवारे के दौरान हुई हिंदू-मुस्लिम की समस्याओं पर आधारित है। फिल्म की शुरुआत में जहां हिंदू मुस्लिम की दुश्मनी दिखाई गई है तो वहीं इसके अंत में दोनों के बीच प्रेम दिखाया गया है। इसका निर्देशन और लेखन चाणक्य सीरियल से मशहूर हुए चंद्र प्रकाश द्विवेदी ने किया है।

गदर-एक प्रेम कथा

गदर-एक प्रेम कथा

ऊपर बताई गई सभी फिल्में जहां गंभीर और संवेदनशील मुद्दों पर आधारित थी, तो वहीं इसी विषय पर बनी गदर एक प्रेम कहानी पर आधारित थी। साल 2001 में आई फिल्म गदर का निर्माण जी टेली फिल्म्स ने किया था, जबकि इसे निर्देशित अनिल शर्मा ने किया था। फिल्म के गानों के साथ ही लोगों को इसकी कहानी भी बेहद पसंद आई थी। जल्द ही इस फिल्म का दूसरा भाग भी रिलीज होने वाला है।

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