
जबलपुर। उपभोक्ताओं को जल्द न्याय दिलाने के लिए उपभोक्ता फोरमों में शिकायत करने की प्रक्रिया तो सरल कर दी गई, लेकिन सुनवाई जल्दी नहीं होने से पेंडिंग मामले बढ़ते जा रहे हैं। जबलपुर जिला उपभोक्ता की दोनों बैंच के अध्यक्ष रिटायर होने के बाद पेंडेंसी की संख्या 5 हजार से अधिक हो गई है। वहीं अन्य जिलों में भी पेंडेंसी मामलों की संख्या 3 हजार से अधिक हैं, यानी प्रदेशभर में पेंडिंग केसों की संख्या डेढ़ लाख से अधिक है। जानकारी के अनुसार प्रदेश में एक दर्जन से भी अधिक फोरम में दो माह पहले ही सदस्यों और अध्यक्षों का कार्यकाल पूरा हो चुका है। हालांकि नए सदस्य व अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर चल रही प्रक्रिया तो पूरी हो गई है, लेकिन कई फोरम में अभी उन्होंने ज्वाइन नहीं किया है। ऐसे में रोजाना दर्ज होने वाले केसों से पेंडेंसी का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है।
90 दिन में न्याय मिलना असंभव
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 लागू होने के बाद राज्य और जिला उपभोक्ता आयोगों में दर्ज शिकायतों का निराकरण 90 दिन में होना अनिवार्य है। लेकिन फोरम की कम संख्या और बढ़ती पेंडेंसी के कारण 90 दिनों में उपभोक्ता को न्याय मिलना संभव नहीं हो रहा है। केस सॉल्व होने में उपभोक्ताओं को तीन साल से अधिक का समय लग रहा है। ज्ञात हो कि जिला आयोगों में एक करोड़ और राज्य उपभोक्ता आयोग में 10 करोड़ रुपए तक के मामलों की सुनवाई की जाती है। हालांकि पिछले कुछ सालों में उपभोक्ताओं में जागरूकता इस कदर बढ़ी है कि वे छोटी-छोटी राशि को लेकर भी शिकायत दर्ज करा रहे हैं, लेकिन उपभोक्ता आयोगों में अध्यक्ष व सदस्यों की कमी से समय पर सुनवाई नहीं हो पा रही है।
300 केस में होना चाहिए एक फोरम
जिला उपभोक्ता फोरम के पूर्व सदस्य सुनील श्रीवास्तव के मुताबिक प्रदेश के सभी फोरमों में पेंडेंसी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसका एक कारण लोगों में बढ़ती अवेयनेस भी है। नियमों के अनुसार 300 केस में एक जिला उपभोक्ता फोरम का नियम है।
कहां कितनी बेंच
- भोपाल 2
- इंदौर 2
- जबलपुर 2
- अन्य जिलों में 1
उपभोक्ता फोरम में न्याय के लिए अब लंबे समय तक इंतजार नहीं करना पड़ता है। हालांकि केस की बढ़ती संख्या के कारण 90 दिनों में न्याय मिलना थोड़ा मुश्किल है। तीसरे फोरम की बेंच का प्रस्ताव तैयार करके शासन को भेजा जा चुका है। -अल्का श्रीवास्तव, रजिस्ट्रार, राज्य उपभोक्ता फोरम