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मां को चिंता थी कि शादी कैसे होगी, मैंने कहा नाम होगा तो दूल्हों की लाइन लग जाएगी : निखत जरीन

भोपाल में नेशनल चैंपियनशिप में तमिलनाडु की मुक्केबाज को हराकर क्वालिफाई राउंड में पहुंचीं

कृष्णा सिंह, भोपाल। 6वीं एलीट महिला नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेने भोपाल आईं बॉक्सर निखत जरीन ने मंगलवार को तात्या टोपे स्टेडियम में तमिलनाडु की मुक्केबाज को पहले ही राउंड में रिंग से बाहर कर दिया। निखत ने 48-50 किलोग्राम फ्लाई वेट कैटेगरी में तमिलनाडु की एलके अभिनया को हराकर क्वालिफाई राउंड क्लियर किया। निखत ने आरएससी (रेफरी स्टॉप कॉन्टेक्ट्स) के जरिए ये बाउट जीता।

रिंग से बाहर उन्होंने पीपुल्स अपडेट डॉट कॉम से कई मुद्दों पर बात की। उन्होंने बताया कि घर में चार बहनें हैं। मैंने जब बॉक्सिंग को करियर बनाने की ठानी तो मां कहती थी कि बॉक्सिंग में चेहरा खराब हो गया तो क्या होगा? शादी कैसे होगी! मैंने कहा नाम होगा तो दूल्लों की लाइन लग जाएगी। बता दें कि तुर्किये के इस्तांबुल में आयोजित हुए महिला वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में निखित जरीन ने 52 किलो की केटेगरी में थाईलैंड की बॉक्सर जुटामास जितपांग को 5-0 हराकर देश के लिए गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा था।

13 साल की उम्र में शुरू की थी बॉक्सिंग

निखत जरीन का जन्म 14 जून 1996 में तेलंगाना के एक शहर निजामाबाद में हुआ था। उनके पिता का नाम मोहम्मद जमील अहमद और उनकी माता का नाम प्रवीण सुल्ताना है। निखत सिर्फ 13 साल की थीं, जब उन्होंने बॉक्सिंग सीखना शुरू किया। निखत के चाचा शमशामुद्दीन ने ही उन्हें बॉक्सिंग की दुनिया से परिचित करवाया था। शमशामुद्दीन खुद एक बॉक्सिंग कोच हैं। वह अपने बेटों और निखत के चचेरे भाई को ट्रेनिंग देते थे। उन्हें देखते हुए ही निखत ने बॉक्सिंग में रूचि दिखानी शुरू की।

निखत से बातचीत के अंश

सवाल : आपने स्पोटर्स में बॉक्सिंग को ही क्यों चुना?
निखत :  मैंने बॉक्सिंग में आकर लोगों की मानसिकता को बदल दिया है। अब माता-पिता बेटियों का करियर भी बॉक्सिंग में बनाने की सोच रहे हैं।

सवाल : आपका कोई ऐसा सपना जो अभी भी पूरा नहीं हुआ है?
निखत : मैं अभी MBA कर रहीं हूं, मेरा आईएएस बनने का सपना अधूरा है।

सवाल :  आप भविष्य में क्या करना चाहेंगी?
निखत : मैं भविष्य में बॉक्सिंग अकादमी खोलना चाहती हूं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने से लोग मुझे जानने लगे हैं और पेरेंट्स चाहते हैं कि मैं उनके बच्चों को सिखाऊं। हालांकि अभी यह संभव नहीं है।

 

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