
भोपाल। मप्र के विधानसभा चुनावों में अब एक साल का समय बचा है। कांग्रेस और भाजपा दोनों आदिवासी वर्ग को लुभाने के लिए जुटे हैं। इस बीच आदिवासी वर्ग के सबसे चर्चित संगठन ‘जयस’ जय आदिवासी युवा शक्ति भी मप्र में चुनाव लड़ने के मूड में है। शनिवार को राजधानी के श्यामला हिल्स स्थित गांधी भवन में जयस ने एक बैठक की, जिसमें 10 आदिवासी, दलित, ओबीसी और अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठकर रणनीति बनाई।
जयस की विचारधारा के प्रति बढ़ी दीवानगी
जयस के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ.हीरालाल अलावा ने कहा- जयस की विचारधारा के प्रति हर समाज की दीवानगी बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि देश के लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए जो भी जुड़ना चाहे, सभी का स्वागत है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विकास के लिए हमने जो कहा है वह करके दिखाएंगे।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने भाजपा का नाम लिए बिना कहा कि जो राजनीतिक दल प्रदेश और देश की लोतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरा बना है उसको देश की जनता साफ करेगी। आने वाले वक्त में उन्हें जवाब मिलेगा। यदि कोई पार्टी सरकार के साथ आने का ऑफर देती है तो क्या करेंगे, इस सवाल के जवाब पर अलावा ने कहा- हमें तो सभी ऑफर देते हैं, लेकिन हमें जो सही लगेगा वही करेंगे। कांग्रेस से आने वालों को टिकट देंगे, इस सवाल के जवाब में अलावा ने कहा- जो भी हमारी विचारधारा से जुड़ने आएंगे, उनका स्वागत है।
प्रीतम लोधी बोले- पूरी ताकत से लड़ेंगे
संगोष्ठी में प्रीतम लोधी ने कहा – हम 2023 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनावों में ओबीसी और एससी एसटी के लिए पूरी ताकत से काम करेंगे। लोधी ने कहा- हम कांग्रेस और भाजपा दोनों के खिलाफ लड़ेंगे। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के नेता तौकीर अली निजामी ने कहा कि दलित, पिछले, आदिवासी समाज के लोगों ने गांधी भवन में जुटकर अच्छा काम किया है। हम इस पर विचार कर रहे हैं कि 85 फीसदी वाले हम लोगों पर 15 फीसदी लोग राज कर रहे हैं। हमारी स्थिति बुरी है। हम इसे बदलना चाहते हैं। कार्यक्रम में रीवा के पूर्व सांसद बुद्धसेन पटेल कार्यक्रम, समता समाधान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक पवार भी शामिल हुए।
भाजपा ने कहा- भक्ति प्रदर्शन
चुनाव से पहले जयस के इस मूवमेंट को राजनीतिक जानकार शक्ति प्रदर्शन बता रहे हैं। भाजपा ने इसे भक्ति प्रदर्शन कहा है। भाजपा का कहना है कि यह शक्ति नहीं भक्ति प्रदर्शन है। चुनाव से पहले इस तरह के गुट सक्रिय हो जाते हैं, शक्ति प्रदर्शन करते हैं, लेकिन बाद में एक तरह की विचारधारा को समर्थन करते हैं। इन्हें पहले विचारधारा स्पष्ट करनी चाहिए।