
प्रवीण श्रीवास्तव। ठंड लगने पर अक्सर लोगों द्वारा लकड़ी या पुराना कबाड़ जलाना आम है, लेकिन हाथ तापने के लिए दवाएं जलाने का मामला चौकाने वाला है। ऐसा ही एक मामला शुक्रवार को सामने आया, जहां एक अस्पताल में कर्मचारियों ने ठंड से बचने के लिए अस्पताल की दवांए ही जला दीं। मामला सामने आया तो कर्मचारियों ने दलील दी कि दवाएं एक्सपायर थीं। लेकिन, एक्सपायर दवाएं थीं तो इन्हें कंपनी को वापस भेजने के बजाय जलाने की वजह कोई नहीं बता पा रहा।
मामला Bhopal के गैस राहत विभाग द्वारा संचालित बाग उमराव दुल्हा की डिस्पेंसरी का है। सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो में अस्पताल परिसर में दवाएं जलती हुई दिखाई दे रही हैं। जानकारी के मुताबिक दवाओं में ORD, पैरासीटामॉल सिरप और एंटीबायोटिक दवाएं शामिल हैं। यह दवाएं गैस पीड़ित मरीजों को नि:शुल्क वितरण के लिए मंगवाई गई थीं, लेकिन समय पर वितरण नहीं किया गया। यह वीडियो शहजादी नाम की महिला ने बनाया है। अब गैस पीड़ित संगठनों द्वारा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है।
प्रभारी बोले- वीडियो की जांच कराएंगे
मामले में अस्पताल के प्रभारी डा. सत्येंद्र राजपूत का कहना है कि किसी बाहरी व्यक्ति द्वारा यह कार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रसारित होने वाले वीडियो की जांच कराई जाएगी। हालांकि अस्पताल के ही एक कर्मचारी ने बताया कि अस्पताल के एक कर्मचारी ने स्टोर रूम में रखे गत्ते के डब्बे जलाए थे। उसने डब्बे में रखीं दवाएं नहीं हटाईं। जिन दवाओं को जलाया गया है, उनकी एक्सपायरी डेट सितंबर 2022। इन्हें नष्ट करने के लिए रखा गया था।
सेहत के नुकसानदायक
श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. पराग शर्मा का कहना है कि दवाओं में कई तरह के रसायन होते हैं। इन्हें जलाने से इनका धुंआ सीधे फेफड़ों में जाता है, जो गंभीर नुकसान पहुंचाता है। अगर ज्यादा धुंआ शरीर में चला जाए, तो व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
जेपी अस्पताल में भी मिली थीं एक्सपायर दवाएं
यह पहला मामला नहीं है, जब अस्पताल में एक्सपायर्ड दवाएं पाई गई हों। हाल ही में जेपी अस्पताल में भी एक कर्मचारी का एक्सपायरी दवाएं फेंकते हुए वीडियो वायरल हुआ था। इस मामले के बाद विभाग ने जांच करने के निर्देश दिए थे।
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