धर्म

Chaitra Amavasya 2022 : भूतड़ी अमावस्या पर लगता है भूतों का मेला, खतरनाक बाधाओं से ऐसे मिलती है मुक्ति

चैत्र नवरात्रि से पहले आने वाली अमावस्या को चैत्र अमावस्या के नाम से जाना जाता है वहीं इसको भूतड़ी अमावस्या भी कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अुनसार इस साल चैत्र अमावस्या दो दिन है। इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने नर्मदा-गंगा समेत पवित्र कुंडों में स्नान करते हैं। इस अमावस्या के दिन पितृदोष और बाहरी बाधाओं से मुक्ति के लिए स्नान करते हैं। साथ ही पितरों का तर्पण, दान आदि किया जाता है। आइए जानते हैं इनके बारें में…

भूतड़ी अमावस्या पर लगता भूत-प्रेतों का मेला

चैत्र माह की अमावस्या को चैत्र अमावस्या और भूतड़ी अमावस्या कहा जाता है। इस दौरान नर्मदा और गंगा के तटों पर भूतों का मेला लगता है। यहां पर इस दिन जिन लोगों को भूत-प्रेत सहित अन्य बाहरी बाधाएं होती हैं। वे यहां पर आकर नर्मदा-गंगा स्नान करते हैं और इन बाहरी बाधाओं से मुक्ति के उपाय करते हैं। यहां पर इन भूत-प्रेतों से बचाव करने वाले कई देवस्थानों से भी लोग आते हैं। यहां पर स्नान करने के बाद पुराने वस्त्र छोड़ जाते है व नए वस्त्र धारण करते हैं और पूजा-पाठ करके अपनी सिद्धियों को भी सिद्ध करते हैं।

सुबह से रात तक आती ढोल-ढमाकों की आवाज

दरअसल, वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को आज भी लोग निभाते चले आ रहे हैं। इन लोगों का मानना है कि भूतड़ी अमावस्या वर्ष में एक बार ही आती है। इसके लिए इस दिन मां नर्मदा/गंगा में स्नान करना बेहद जरूरी होता है। भूतड़ी अमावस्या पर सुबह से लेकर रात ढोल-ढमाकों और अजीबो तरह की आवाज सुनाई देता है। इस दिन स्नान करने से जहां तन-मन में शुद्धता आती है तो वहीं बाहरी बाधाओं से भी मुक्ति मिलती है। स्नान के बाद लोग देवी देवता के भी दर्शन करते हैं।

शुभ मुहूर्त और तर्पण की तिथि

हिंदू पंचाग के अनुसार, चैत्र अमावस्या 31 मार्च (गुरुवार) को दोपहर 11 बजकर 22 मिनट के बाद शुरू होगी और 01 अप्रैल को सुबह 11:53 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए पितरों की शांति के लिए किए जाने वाले श्राद्ध, तर्पण कार्य 31 मार्च को किए जा सकेंगे।

चैत्र अमावस्या पर बन रहे हैं खास संयोग

  • इस बार चैत्र अमावस्या पर कई दुर्लभ योग बन रहे हैं. इस दिन ब्रह्म योग के बाद इंद्र योग बन रहा है. इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग के साथ रेवती नक्षत्र बी बन रहा है. इसलिए चैत्र अमावस्या का दिन हर किसी के लिए बेहद खास है।
  • ब्रह्म योग- सुबह 09:37 मिनट तक। इसके बाद इंद्र योग शुरू हो रहा है।
  • सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 10:40 मिनट से लेकर 2 अप्रैल सुबह 06:10 तक।
  • अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12:00 से 12:50 मिनट तक।
  • अमृत सिद्धि योग- सुबह 10:40 मिनट से 2 अप्रैल 06:10 मिनट तक।

(नोट: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)

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