
लंदन। जलवायु परिवर्तन का खतरा इंसानों के साथ-साथ जीव-जंतुओं पर भी तेजी से बढ़ रहा है। वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) ने जीव-जंतुओं पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और उनकी संख्या पर इसके असर को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार, 1970 से 2020 के बीच जंगलों में रहने वाले जीव-जंतुओं की संख्या में लगभग 73% की गिरावट आई है। इस गिरावट का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण है, जिसके चलते जीव-जंतु अपना आवास छोड़ने को विवश होते हैं। वहीं लिविंग प्लेनेट रिपोर्ट 2024 में गिद्धों की संख्या पर भी जानकारी दी गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में गिद्धों की तीन प्रजातियों में 1992 से 2022 के बीच गिरावट आई है। इनमें सफेद दुम वाले गिद्ध की संख्या में 67%, भारतीय गिद्ध की संख्या में 48% और पतली चोंच वाले गिद्ध की संख्या में 89% की कमी आई है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में दुनिया की सबसे बड़ी बाघों की संख्या है। 2022 में किए गए अनुमान के अनुसार, देश में कम से कम 3,682 बाघ हैं, जबकि 2018 में यह संख्या 2,967 थी।
संख्या घटने का यह है कारण
- मीठे जल में रहने वाले जीवजंतुओं की संख्या में 85 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।
- जबकि समुद्री जीव-जंतुओं की संख्या में 56 प्रतिशत की कमी आई है।
- वन्यजीवों की कमी का प्रमुख कारण आवास की क्षति और गिरावट जो मुख्य रूप से खाद्य प्रणालियों के कारण है।
- अत्यधिक दोहन, आक्रामक प्रजातियां और बीमारियां, जलवायु संकट के प्रभावों के साथ मिलकर वन्यजीवों और पारिस्थितिकी तंत्रों को उनकी सीमाओं से परे धकेल रही हैं।
जलवायु परिवर्तन से समस्या लगातार बढ़ती जा रही
शहरी विस्तार के कारण आर्द्रभूमि में 85% की गिरावट आई है, जिससे शहर सूखे और बाढ़ के प्रति अधिक संवेदनशील हो गया है। जलवायु परिवर्तन ने इन समस्याओं को और गंभीर बना दिया। – रवि सिंह, महासचिव और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, वर्ल्ड वाइड फंड
कुछ जीव-जंतुओं की संख्या में हो रहा सुधार
भारत में कुछ जीव-जंतुओं की संख्या में सुधार हो रहा है। इसका श्रेय सरकारी योजनाओं, आवास प्रबंधन, वैज्ञानिक निगरानी, सामुदायिक सहभागिता और लोकल लोगों की भागीदारी को जाता है। – संगीता सक्सेना, स्टेट डायरेक्टर, (मप्र-छग), वर्ल्ड वाइड फंड