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एलन मस्क ने भारत को मिलने वाली 1.82 अरब की मदद पर लगाई रोक, देखें लिस्ट में और किन देशों के नाम!

वॉशिंगटन। अमेरिका की डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने अंतरराष्ट्रीय सहायता राशि में कटौती के तहत भारत को मिलने वाली 1.82 अरब (21 मिलियन डॉलर) की मदद पर रोक लगा दी है। यह फंडिंग भारत में मतदाता भागीदारी बढ़ाने के लिए दी जानी थी। अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) ने इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि अमेरिकी करदाताओं के पैसे को बेवजह खर्च नहीं होने दिया जाएगा।

गौरतलब है कि DOGE की कमान दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क के हाथों में है। मस्क अमेरिकी सरकार के खर्चों की बारीकी से जांच कर रहे हैं और अनावश्यक फंडिंग को रोकने का फैसला ले रहे हैं।

DOGE क्या है और इसे क्यों बनाया गया

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सरकारी खर्चों में पारदर्शिता लाने और अनावश्यक विदेशी सहायता को खत्म करने के लिए Department of Government Efficiency (DOGE) की स्थापना की थी। इस विभाग को संभालने की जिम्मेदारी टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क को दी गई है।

मस्क ने DOGE की जिम्मेदारी संभालते ही अमेरिका का खाता-बही खंगालना शुरू कर दिया और हर उस खर्चे की समीक्षा कर रहे हैं, जिसे वे करदाताओं के पैसे की बर्बादी मानते हैं। इसी नीति के तहत भारत, नेपाल, बांग्लादेश समेत कई देशों को दी जाने वाली सहायता राशि पर रोक लगा दी गई है।

भारत को मिलने वाली मदद पर क्यों लगी रोक

अमेरिका भारत को 21 मिलियन डॉलर (1.82 अरब रुपये) की सहायता इसलिए देता था ताकि देश में मतदान प्रतिशत को बढ़ावा दिया जा सके। लेकिन अब यह फंडिंग पूरी तरह बंद कर दी गई है।

DOGE ने X पर बयान जारी करते हुए कहा, “अमेरिकी करदाताओं के पैसे को निम्नलिखित मदों पर खर्च किए जाने वाला था, लेकिन अब इन सभी को रद्द किया जा रहा है।”

यह निर्णय अंतरराष्ट्रीय सहायता में व्यापक कटौती का हिस्सा है, जिसका प्रभाव कई देशों में चुनावी प्रक्रियाओं और राजनीतिक स्थिरता को बेहतर बनाने के प्रयासों पर पड़ेगा।

बांग्लादेश और नेपाल को भी झटका

DOGE के फैसले के तहत बांग्लादेश और नेपाल को दी जाने वाली सहायता भी रोक दी गई है। बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता और लोकतांत्रिक शासन को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका 29 मिलियन डॉलर की मदद दे रहा था, जिसे अब बंद कर दिया गया है।

वहीं नेपाल में राजकोषीय संघवाद के लिए दी जाने वाली 20 मिलियन डॉलर की फंडिंग को बंद कर दिया गया है। इसके साथ ही, जैव विविधता संरक्षण के लिए दी जाने वाली 19 मिलियन डॉलर की सहायता भी खत्म कर दी गई है।

बजट में कटौती नहीं की तो दिवालिया हो जाएगा अमेरिका- मस्क

एलन मस्क लंबे समय से सरकारी खर्चों में कटौती की वकालत कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर अमेरिकी सरकार ने बजट में कटौती नहीं की तो देश आर्थिक संकट में फंस सकता है। DOGE द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि इस फैसले का उद्देश्य सरकारी दक्षता में सुधार लाना और यह सुनिश्चित करना है कि करदाताओं के पैसे को संदिग्ध विदेशी राजनीतिक गतिविधियों पर खर्च न किया जाए।

बीजेपी ने जताई आपत्ति

अमेरिका द्वारा भारत को दी जाने वाली फंडिंग पर रोक लगाने के फैसले पर भारतीय जनता पार्टी  ने आपत्ति जताई है।

बीजेपी प्रवक्ता अमित मालवीय ने कहा, “भारत में मतदाता भागीदारी बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर? यह निश्चित रूप से भारत की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप है। इससे किसे लाभ होगा? निश्चित रूप से सत्तारूढ़ पार्टी को नहीं!”

किन देशों को पड़ेगा इससे फर्क

अमेरिका ने केवल भारत, बांग्लादेश और नेपाल ही नहीं, बल्कि कई अन्य देशों की सहायता राशि भी रद्द कर दी है। DOGE ने अंतरराष्ट्रीय सहायता के कई अन्य कार्यक्रमों पर भी रोक लगा दी है।

एशिया में शिक्षा सुधार – $47 मिलियन

लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण केंद्र – $40 मिलियन

प्राग सिविल सोसाइटी सेंटर – $32 मिलियन

मोल्दोवा में समावेशी राजनीति को बढ़ावा – $22 मिलियन

नेपाल में जैव विविधता संरक्षण – $19 मिलियन

सर्बिया में सार्वजनिक खरीद में सुधार – $14 मिलियन

मोजाम्बिक में पुरुष खतना कार्यक्रम – $10 मिलियन

UC बर्कले को कंबोडियाई युवाओं के लिए कौशल प्रशिक्षण – $9.7 मिलियन

कंबोडिया में स्वतंत्र मीडिया को बढ़ावा – $2.3 मिलियन

लाइबेरिया में मतदाता विश्वास सुधार – $1.5 मिलियन

ट्रंप ने DOGE को बताया बचत का मास्टर

डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में DOGE की तारीफ करते हुए कहा कि यह विभाग अब तक कई अरब डॉलर की बचत कर चुका है।

उन्होंने पत्रकारों से कहा, “हम कई अरब डॉलर की राशि को बचाने की बात कर रहे हैं। अगर हम इसी तरह चलते रहे तो शायद 500 अरब डॉलर तक बचत हो सकती है।”

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