
कोरोना के बाद अब मंकीपॉक्स भी तेजी से पैर पसारता नजर आ रहा है। भारत में भी इसके मामले सामने आने लगे हैं। अभी तक देश में 4 लोगों में मंकीपॉक्स की पुष्टि हो चुकी है। इनमें 3 तीन केरल के जबकि 1 दिल्ली का है। वहीं कुछ संदिग्ध मरीज भी मिले हैं। इसी क्रम में हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में भी मंकीपॉक्स का एक संदिग्ध मिला है। जिसका सैंपल जांच के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेजा गया है।
नहीं है कोई फॉरेन ट्रैवल हिस्ट्री
स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, बद्दी इलाके के रहने वाले शख्स में 21 दिन पहले संक्रमण के लक्षण दिखे थे। हालांकि वह फिलहाल स्वस्थ्य है और आइसोलेशन में है। लेकिन प्रदेश में मंकीपॉक्स का संदिग्ध मरीज मिलने से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है। स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक आसपास के इलाकों में निगरानी की जा रही है। हैरानी वाली बात ये है कि मरीज की विदेश की ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है।
देश में अब तक मंकीपॉक्स के 4 केस
- देश में अब तक मंकीपॉक्स के 4 केस सामने आ चुके हैं। इनमें से 3 मरीज केरल में और 1 दिल्ली में मिला है।
- केरल में 14 जुलाई को मिला पहला मरीज दूसरे देश (यूएई) से भारत आया था। तेज बुखार और शरीर में तेज दर्द की शिकायत थी। इसके साथ ही शरीर पर छाले थे।
- केरल में 18 जुलाई को मिला दूसरा मरीज भी दूसरे देश (दुबई) से भारत आया था। मरीज दो महीने पहले ही भारत लौट गया था, लेकिन मंकीपॉक्स के लक्षण उसमें बाद में देखने को मिले।
- केरल में 22 जुलाई को मिला तीसरा मरीज 6 जुलाई को यूएई से लौटा था। 13 जुलाई को उसमें लक्षण दिखाई देने पर जांच की गई थी।
- दिल्ली में मिले चौथे मरीज (उम्र 31 वर्ष) ने विदेश यात्रा नहीं की थी, लेकिन घरेलू यात्रा जरूर की थी।
- वहीं अब तक 4 संदिग्ध केस भी सामने आ चुके हैं। सभी के सैंपल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे भेज दिए गए हैं। हालांकि, अभी तक रिपोर्ट नहीं आई है।
क्या है मंकीपॉक्स?
- मंकीपॉक्स एक दुर्लभ और गंभीर वायरल बीमारी है। यह बीमारी एक ऐसे वायरस की वजह से होती है, जो स्मॉल पॉक्स यानी चेचक के वायरस के परिवार का ही सदस्य है।
- अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक, पहली बार ये बीमारी 1958 में सामने आई थी। तब रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में ये संक्रमण मिला था। इन बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के लक्षण दिखे थे। इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, इंसानों में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में सामने आया था। तब कॉन्गो के रहने वाले एक 9 साल के बच्चे में ये संक्रमण मिला था। 1970 के बाद 11 अफ्रीकी देशों में इंसानों के मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के मामले सामने आए थे।
- दुनिया में मंकीपॉक्स का संक्रमण अफ्रीका से फैला है। 2003 में अमेरिका में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए थे। सितंबर 2018 में इजरायल और ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए थे। मई 2019 में सिंगापुर में भी नाइजीरिया की यात्रा कर लौटे लोगों में मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई थी।
- मंकीपॉक्स को लेकर इंग्लैंड की एजेंसी यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (UKHSA) ने कहा है कि अब मंकीपॉक्स का वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसफर होने लगा है।
ये भी पढ़ें- Monkeypox : केरल में मिला मंकीपॉक्स का पहला मरीज, विदेश से लौटा था शख्स
क्या हैं इसके लक्षण?
- मंकी पॉक्स के शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इनमें बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमर दर्द, कंपकंपी छूटना, थकान और सूजी हुई लिम्फ नोड्स शामिल हैं।
- मंकीपॉक्स वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड 5 से 21 दिन तक का हो सकता है। इन्क्यूबेशन पीरियड का मतलब ये होता है कि संक्रमित होने के बाद लक्षण दिखने में कितने दिन लगे।
- मंकीपॉक्स शुरुआत में चिकनपॉक्स, खसरा या चेचक जैसा दिखता है।
- बुखार होने के एक से तीन दिन बाद त्वचा पर इसका असर दिखना शुरू होता है। शरीर पर दाने निकल आते हैं। ये दाने घाव जैसे दिखते हैं और खुद सूखकर गिर जाते हैं।