जबलपुरमध्य प्रदेश

निमोनिया से हर दो घंटे में थम रही एक बच्चे की सांसें, सामने आए स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े

प्रदेश में निमोनिया बच्चों की मौत का एक नया कारण बन गया है। दरअसल, इस बीमारी से हर दो घंटे में एक बच्चे की सांसें थम रही हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई है। सर्वे के मुताबिक निमोनिया से हर साल 13 हजार 29 बच्चों की मौत होती है। इस बीमारी से बच्चों को बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा 18 जुलाई से प्रदेशभर में दस्तक अभियान चलाया जाएगा। निमोनिया के अलावा सर्वे में बच्चों को होने वाली सामान्य बीमारी डायरिया, कुपोषण आदि शामिल रहेंगी।

ऐसे जानलेवा बन जाती है ये बीमारी

जबलपुर मेडिकल काॅलेज के शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ. अव्युक्त अग्रवाल के मुताबिक निमोनिया फेफड़ों का संक्रमण है, जो बैक्टीरिया, वायरस और फंगल इंफेक्शन के जरिए बच्चों के शरीर में पहुंचता है। यह बीमारी होने से बच्चों को सांस लेने में अधिक परेशानी होती है। वहीं खांसने और छींकने से यह संक्रमण हवा के माध्यम से परिवार के अन्य लोगों को भी होता है। अधिकतर यह बीमारी 5 साल से कम उम्र के बच्चों को होती है। मौसम में होने वाला बदलाव के कारण यह बीमारी बच्चों को अधिक होती है। बीमारी का समय पर इलाज शुरू नहीं होने से यही बीमारी हाइपोक्सिया में परिवर्तित हो जाती है, जिससे बच्चे की मौत भी हो सकती है।

बीमारी पता करने आशा घर-घर देगी दस्तक

जिला टीकाकरण अधिकारी डाॅ. एसएस दाहिया के मुताबिक शहर में 18 जुलाई से दस्तक अभियान शुरू हो रहा है। जिसमें आशा कार्यकर्ताओं के साथ स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर जाकर बच्चों में निमोनिया, डायरिया, एनीमिया, कुपोषण, सर्दी, खांसी की जांच करेंगी। 31 अगस्त तक दस्तक अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान में शहर के पांच साल तक के करीब 4 से 5 लाख बच्चों को सर्वे में शामिल किया जाएगा। जांच के दौरान यदि कोई बच्चा बीमारी से पीड़ित होता है तो उसको नजदीकी अस्पताल या जिला अस्पताल रेफर किया जाएगा।

निमोनिया संक्रमण के लक्षण

– बुखार तेजी से बढ़ती है।
– मरीज को थकान व कमजोरी महसूस होना।
– मरीज को बलगम वाली खांसी आना।
– मरीज को बुखार के साथ पसीना आना
– कपकपी के साथ बुखार आना।
मौसम में परिवर्तन से पांच साल तक के बच्चों में निमोनिया सामान्य बीमारी है। लेकिन बीमारी का समय पर इलाज ही उसका एकमात्र उपाय है। इस बीमारी से शहर ही नहीं संभाग के भी कई बच्चे ग्रसित होते हैं। समय पर इलाज नहीं शुरू होने से बीमारी रूप ले लेती है।
डाॅ संजय मिश्रा, रीजनल डायेरक्टर, स्वास्थ्य विभाग

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