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कल से शुरू हो रहा महाकुंभ, 144 साल बाद बन रहा ये शुभ योग, जानें शाही स्नान का मुहूर्त

प्रयागराज में महाकुंभ 2025 कल से शुरू होने जा रहा है, जो 45 दिनों तक चलेगा। महाकुंभ का समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन होगा। ये मेला धार्मिकता, आस्था और संस्कृति का एक अनूठा संगम है। जिसमें सिर्फ भारत से ही नही बल्की विश्व भर से भी लोखों श्रध्दालुं और साधू संत पहुंचेंगे। 12 साल में एक बार महाकुंभ का आयोजन भारत के चार शहरों हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन में होता है।

महाकुंभ को लेकर क्या है मान्यता ?

महाकुभ में पवित्र जल से स्नान और पूजा-अर्चना का सबसे बड़ा मौका होता है। माना जाता है कि कुंभ के मेले में स्नान करने से इंसान को पापों से मुक्ति मिल जाती है। समुद्र मंथन से निकले अमृत को पाने के लिए देवताओं और राक्षसों में 12 वर्षों तक युद्ध चला था। इस युद्ध के दौरान कलश में से जिन स्थानों पर अमृत की बूंदें गिरीं वहां पर कुंभ मेला लगाया जाता है। 12 वर्षों तक युद्ध चलने के कारण कुंभ हर 12 साल में एक बार आता है। महाकुंभ में शाही स्नान का अपना एक अलग महत्व होता है।

पूर्णिमा के शुभ अवसर होगा पहला शाही स्नान

बता दें, प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ का पहला शाही स्नान कल पूर्णिमा के शुभ अवसर पर होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 जनवरी यानी कल सुबह 5 बजकर 03 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 14 जनवरी को अर्धरात्रि 3 बजकर 56 मिनट पर होगा।

शाही स्नान करने के मुहूर्त

 

शाही स्नान करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 05 बजकर 27 मिनट से सुबह 06 बजकर 21 मिनट रहेगा।

शाही स्नान करने के लिए प्रात: संध्या मुहूर्त- सुबह 5 बजकर 54 मिनट से सुबह 7 बजकर 15 मिनट

 शाही स्नान के लिए विजय मुहूर्त- दोपहर 2 बजकर 15 मिनट से लेकर 2 बजकर 57 मिनट रहेगा

 शाही स्नान के लिए विजय गोधूलि मुहूर्त- शाम 5 बजकर 42 से लेकर 6 बजकर 09 तक रहेगा

144 साल बाद बन रहा ये दुर्लभ संयोग

प्रयागराज में होने वाला महाकुंभ बेहद खास माना जा रहा है, क्योंकि इस बार 144 साल बाद एक दुर्लभ संयोग बन रहा है। जिसका संबंध समुद्र मंथन से माना जाता है, जिस दौरान देवताओं और राक्षसों ने अमृत के लिए संघर्ष किया था। इस दिन सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति ग्रहों की शुभ स्थिति बन रही है जो कि उस समय समुद्र मंथन के दौरान भी बनी थी। साथ ही, महाकुंभ पर रवि योग का निर्माण हो रहा है। रवि योग कल सुबह 7 बजकर 15 मिनट से होगा और 10 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगा। इसी दिन भद्रावास योग का भी संयोग बन रहा है और इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है।

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