अंतर्राष्ट्रीय

अमेरिका ने अफगानिस्तान में हेलीकॉप्टर तो छोड़े पर उन्हें डिसेबल कर दिया, तालिबाना परेशान

तालिबान खुद को ठगा सा महसूस कर रहा, हथियार किसी काम के नहीं

काबुल/इस्लामाबाद। अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान में मिलिट्री वाहन, हेलिकॉप्टर और अन्य हथियार छोड़ने पर तालिबान बहुत खुश था। लेकिन उसकी यह खुशी ज्यादा देर तक नहीं चल सकी। तालिबान को अब पता चला है कि अमेरिकी सैनिकों ने जाते-जाते अपने कई हेलीकॉप्टर और विमान डिसेबल कर दिए हैं यानी अब उन्हें इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। काबुल हावाई अड्डे पर खड़े ये हथियार किसी काम के नहीं बचे हैं।

अंतरराष्ट्रीय मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार तालिबान खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है। उसे उम्मीद थी कि अमेरिका उसके लिए कुछ हेलिकॉप्टर छोड़ देगा जो उसके बहुत काम आते लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अमेरिकी सेना ने कहा है कि जाने से पहले उसने 27 हमवी और 73 विमानों को निष्क्रिय कर दिया था। अब तालिबान के पास 48 विमान बचे हैं लेकिन इनमें से कितने चालू हैं यह नहीं पता।

अफगान शरणार्थियों के लिए पाकिस्तान ने बंद की सीमा

पाकिस्तान ने अफगानिस्तान सीमा से लगे अपने दूसरे सबसे बड़े कमर्शियल पॉइंट चमन सीमा को अफगान शरणार्थियों के लिए बंद कर दिया है। गुरुवार को पाकिस्तान सरकार द्वारा की गई इस कार्रवाई से दोनों देशों की सीमा पर भगदड़ मच गई जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई। यह बॉर्डर क्रॉसिंग कांधार के स्पिन बोल्डक को पाकिस्तान के कस्बे चमन से जोड़ती है। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद बहुत बड़ी संख्या में लोग देश छोड़ रहे हैं। वे तालिबान के क्रूर शासन से बचने के लिए भाग रहे हैं।

सोशल मीडिया पर यहां के हालात के वीडियो भी सामने आ रहे हैं। इनमें हजारों की संख्या में शरणार्थी सीमा पर पाकिस्तान आने के लिए दिख रहे हैं। तालिबान से बचने की उम्मीद में हजारों महिलाएं और बच्चे सीमा के पास सो रहे हैं।

1979 में सोवियत रूस के अफगानिस्तान पर हमले के बाद 30 लाख शरणार्थी पाकिस्तान आ गए थे। अब पाकिस्तान के अधिकारियों को आशंका है कि दस लाख और अफगान देश में घुस सकते हैं।

अफगानिस्तान और पाकिस्तान की ढाई हजार किलोमीटर लंबी सीमा के 90 फीसदी से ज्यादा हिस्से पर फेंसिंग कर दी गई है। पूरी सीमा पर 12 क्रॉसिंग पॉइट्स हैं जिनसे लोग आना-जाना कर सकते हैं।

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