इंदौर। मध्य प्रदेश सरकार राज्य के विश्वविद्यालयों में कुलपति का नाम बदलने पर विचार कर रही है। सरकार ने कुलपति पद का हिंदी नाम- कुलगुरु रखने का प्रस्ताव तैयार किया है। इस संबंध में आम जनता से भी सुझाव मांगे हैं। प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने ये जानकारी इंदौर में एक निजी कार्यक्रम के दौरान दी।
मंत्री ने कहा कि जिला कलेक्टरों को हिंदी में जिलाधीश कहा जाता था और यह शब्द एक राजा की तरह लगता था। उन्होंने कहा- कुलपति की तुलना में कुलगुरु लोगों के गले से ज्यादा उतरता है। उन्होंने कुलपतियों से भी आग्रह किया है कि इस नाम पर विचार किया जाना चाहिए, ताकि जल्द इस नाम को बदला जा सके। उनका कहना था कि हमारे विभाग ने कुलपति का नाम हिंदी में बदलने के प्रस्ताव पर चर्चा की है। जल्द ही नाम बदलने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद की बैठक में पेश किया जाएगा। यदि इसे मंजूरी मिल जाती है तो प्रस्ताव को लागू किया जाएगा।
नई शिक्षा नीति में 131 पाठ्यक्रम लागू होंगे
यादव ने ये भी बताया कि केंद्र की नई शिक्षा नीति के अनुसार उनका विभाग द्वारा 131 पाठ्यक्रमों को लागू किया जाएगा। ये हमारी उच्च शिक्षा प्रणाली को आगे बढ़ाने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण से किया जा रहा है।
मध्य प्रदेश में कुल 59 यूनिवर्सिटीज, इनमें 2 सेंट्रल
उच्च शिक्षा विभाग की वेबसाइट के अनुसार, प्रदेश में 8 पारंपरिक यूनिवर्सिटीज़ हैं। इसके अलावा, एक अलग अधिनियम के तहत और अन्य विभागों द्वारा 17 यूनिवर्सिटीज़ (पत्रकारिता, इंजीनियरिंग और खुले पाठ्यक्रम समेत) स्थापित की गई हैं। इसके अलावा, मध्य प्रदेश में निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग के अनुसार, राज्य में 32 निजी यूनिवर्सिटीज़ संचालित की जा रही हैं। प्रदेश में दो सेंट्रल यूनिवर्सिटीज़ भी हैं।
एमबीबीएस कोर्स में आरएसएस संस्थापक के विचार शामिल
इससे पहले प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के प्रस्ताव चर्चा में आया था। अब मेडिकल की पढ़ाई पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के लिए आरएसएस संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार, जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय, डॉ. आंबेडकर, स्वामी विवेकानंद, महर्षि चरक, आचार्य सुश्रुत के विचारों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जा रहा है।