
मयंक तिवारी-जबलपुर। 11 दिसंबर को नरसिंहपुर में झोतेश्वर के परमहंसी गंगा आश्रम में ब्रह्मलीन दो पीठों के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के समाधि स्थल मंदिर का लोकार्पण दो पीठों के जगद्गुरु शंकराचार्य द्वारका- शारदा पीठाधीश्वर सदानंद सरस्वती एवं ज्योतिषपीठाधीश्वर अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की उपस्थिति में किया जाएगा। समाधि स्थल पर मंदिर निर्माण की लागत करीब ढाई करोड़ रुपए आई है। पूर्व में भी ब्रम्हलीन शंकराचार्यों की समाधि बनाने की परंपरा है।
आदि शंकराचार्य की समाधि केदारनाथ में स्थित है। आयोजन में सभी बड़े संतों के साथ सीएम, पूर्व सीएम व मंत्रीगण शामिल होंगे। महाराज जी का जन्म 1924 में हुआ था और 2024 उनका शताब्दी वर्ष भी है। महाराज श्री ने स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के साथ गो हत्या बंदी व राम मंदिर निर्माण में भूमिका निभाई थी।
यहां पर दिखेगी दक्षिण भारत की शैली भी
दक्षिण भारत के मंदिरों की शैली में करीब 5000 वर्गफीट की भूमि पर समाधि मंदिर करीब ढाई करोड़ की लागत से बनाया गया है। महाराज जी की मूर्ति का लोकार्पण 11 दिसंबर को गीता जयंती पर होना है। उनकी मूर्ति जयपुर से बनकर आई है। पं. अरविंद मिश्रा ने बताया कि मंदिर में शारदापीठ से एक स्फटिक शिवलिंग आया है, जिसका वजन लगभग 51 किलो है।
देश भर के संतों के साथ वीवीआईपी भी आमंत्रित
मिली जानकारी के अनुसार इस भव्य और गरिमामयी कार्यक्रम का आमंत्रण देश के तमाम बड़े साधु-संतों के साथ प्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव के और पूर्व सीएम व केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह, कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते सहित कई कैबिनेट मंत्रियों को भी भेजा गया है।
यही स्थल क्यों चुना?
परमहंसी गंगा आश्रम के ब्रह्मचारी ब्रह्मविद्यानंद ने बताया कि दो पीठों के ब्रह्मलीन द्विपीठाधीश्वर शंकराचार्य ने अपनी समाधि के लिए यह स्थल इसलिए चुना था, क्योंकि वे गुरु क्षेत्र को प्रकाशित करना चाहते थे। झोतेश्वर से 9 कोस दूर सांकलघाट में आदि शंकराचार्य के गुरु गोविंद भगवतपादाचार्य जी की गुफा है। उन्होंने आदि शंकराचार्य को संन्यास की दीक्षा दी थी। इसलिए महाराज जी ने इस स्थल के चयन के बारे में सभी को पूर्व में ही सूचित कर दिया था।
झोतेश्वर में होंगे भव्य आयोजन
मिली जानकारी के अनुसार नरसिंहपुर जिले में झोतेश्वर के परमहंसी गंगा आश्रम में भव्य आयोजन की तैयारियां अंतिम रूप ले रही हैं। चूंकि आयोजन में लाखों की संख्या में शिष्यों के आने की संभावना है, लिहाजा वृहद स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं।