इंदौरग्वालियरमध्य प्रदेश

सीए फाइनल रिजल्ट: जानिए इंडिया के नंबर-1 और नंबर- 2 रैंक होल्डर की प्रेरणा और उनकी पढ़ाई के तरीकों के बारे में

ग्वालियर। चार्टर्ड अकाउंटेंट की परीक्षा के रिजल्ट में मुरैना की बेटी नंदनी अग्रवाल ने पहली और उनके भाई सचिन अग्रवाल ने 18 वीं रैंक प्राप्त की है। पीपुल्स समाचार से बात करते हुए नंदिनी ने बताया कि उसने ऑल इंडिया में पहली रैंक लाने के लिए 13 से 16 घंटे प्रतिदिन तैयारी की। उसके भाई ने भी मेहनत में कोई कसर नहीं छोड़ी। नंदिनी का कहना है कि अब मैं आई आई एम के लिए प्रयासरत हूं। ऑल इंडिया टॉप करने के लिए नंदिनी ने मां और पिता को पूरा श्रेय दिया है। नंदिनी का कहना है- किसी भी परीक्षा में स्वयं का आत्मविश्वास और अपनी मेहनत परिणाम जरूर देती है। नंदिनी ने अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों से कहा कि अगर आप की कोशिश ईमानदारी से की गई है तो हार कभी नहीं होगी। नंदिनी के माता-पिता ने अपनी बेटी और बेटे के इस प्रदर्शन पर खुशी जाहिर की है।

छोटे-छोटे गोल सेट करें: साक्षी

चार्टर्ड अकाउंटेंट फाइनल की परीक्षा में देशभर में दूसरा स्थान हासिल करने वाली इंदौर की साक्षी ऐरन का मानना है कि सफलता के लिए जरूरी नहीं एक साथ बड़ा लक्ष्य रखा जाए। अगर आपको कोई विषय कठिन लगता है तो सिलेबस का छोटा-छोटा हिस्सा कर लक्ष्य तय किया जाए। लेकिन यह जरूरी है कि उस लक्ष्य को उसी तरह समय में पूरा भी किया जाए। सबसे पहले अपनी क्षमताओं को पहचाने और उन्हें डेवलप करें। तैयारी में ही 100 परसेंट हासिल करने का प्लान बनाएं। 90-99% शार्ट गोल अचीव करें।

यह सफलता बहुत खुशी देने वाली

पीपुल्स समाचार से खास बातचीत में साक्षी ने बताया की कोविड काल की चुनौतियों को भी उन्होंने अवसर में बदलने की कोशिश की। लास्ट ईयर में आर्टिकलशिप में जो समय बचा उसका उपयोग पढ़ाई में किया। साक्षी ने बताया कि उन्हें देश की टॉप फिफ्टी स्टूडेंट्स में स्थान बनाने की उम्मीद तो थी लेकिन टॉप 3 में वह शामिल रहेंगी यह अंदाजा नहीं था। साक्षी ने कहा की यह सफलता बहुत खुशी देने वाली है। इस खास सफलता के लिए उन्होंने सबसे पहले सिलेबस कवर करने की ठानी, छोटे-छोटे गोल प्लान किए और उन्हें यदि 1 दिन या 3 दिन का समय निर्धारित किया तो उसमें पूरा भी किया। इस तरह पूरे सिलेबस को छोटे-छोटे हिस्सों में करके कवर किया। जहां तक परीक्षा का सवाल है इस बार का पैटर्न कुछ अलग था, पेपर में एक-एक दिन के गैप थे। इसलिए जो पेपर हो गया उसकी चिंता करने की बजाए 1 दिन बाद होने वाले पेपर पर फोकस किया।

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