श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व से पहले केंद्र सरकार ने करतारपुर कॉरिडोर खोलने का एलान कर दिया। खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने यह खुशखबरी दी है और कहा है कि इससे बड़ी संख्या में सिख तीर्थयात्रियों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि एक बड़े फैसले के तहत मोदी सरकार ने करतारपुर साहिब कॉरिडोर को 17 नवंबर से दोबारा खोलने का फैसला किया है। यह निर्णय श्री गुरु नानक देव जी और हमारे सिख समुदाय के प्रति मोदी सरकार की अपार श्रद्धा को दर्शाता है।
In a major decision, that will benefit large numbers of Sikh pilgrims, PM @Narendramodi govt has decided to re-open the Kartarpur Sahib Corridor from tomorrow, Nov 17.
This decision reflects the immense reverence of Modi govt towards Shri Guru Nanak Dev Ji and our Sikh community.— Amit Shah (@AmitShah) November 16, 2021
इससे पहले मंगलवार को पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की थी कि सिख संगत की भावनाओं का सम्मान करते हुए 19 नवंबर से पहले करतारपुर कॉरिडोर खोल दिया जाए। पंजाब भाजपा नेताओं के एक दल ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर इस मांग को उठाया था।
The nation is all set to celebrate the Prakash Utsav of Shri Guru Nanak Dev ji on 19th of November and I am sure that PM @NarendraModi govt’s decision to reopen the Kartarpur Sahib corridor will further boost the joy and happiness across the country.
— Amit Shah (@AmitShah) November 16, 2021
कब हुआ था कॉरिडोर का उद्घाटन
इस कॉरिडोर का उद्घाटन 9 नवंबर, 2019 को किया गया था। अगस्त के महीने में पाकिस्तान ने भारत समेत 11 देशों की यहां यात्रा पर प्रतिबंध लगाया था। डेल्टा वैरिएंट के प्रकोप की वजह से पाकिस्तान ने 22 मई से लेकर 12 अगस्त तक भारत को ‘सी’ कैटेगरी में डाल दिया था। 16 मार्च, 2020 को भारत और पाकिस्तान ने कोविड-19 को देखते हुए अस्थाई तौर पर करतारपुर साहिब की यात्रा पर प्रतिबंध लगाया था।
कॉरिडोर के जरिए करतारपुर से जुड़ा है डेरा बाबा नानक
करतारपुर कॉरिडोर के जरिए पाकिस्तान के कस्बे करतारपुर को पंजाब के गुरुदासपुर जिले में स्थित डेरा बाबा नानक के साथ जोड़ा गया है। भारत से लगी सीमा से करीब चार किलोमीटर दूर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में रावी नदी के किनारे स्थित श्री करतारपुर साहिब गुरुद्वारा सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल है। यह लाहौर से 120 किमी दूर स्थित है। कहा जाता है कि यही से सबसे पहले लंगर की शुरुआत हुई थी। नानकदेव ने गुरु का लंगर ऐसी जगह बनाई जहां बिना भेदभाव के पुरूष और महिला दोनों साथ में भोजन करते हैं। यहां बाबा नानक ने अपनी जिंदगी का अंतिम समय बिताया था। यहां उन्होंने 17 वर्ष 5 माह 9 दिन अपने हाथों से खेती तक की। गुरु नानक जी के माता-पिता का देहांत भी यहीं पर हुआ था।
दूसरी ओर, भारत में रावी नदी के किनारे श्री गुरु नानक देव जी की याद में बनाया गया डेरा बाबा नानक स्थित है। यह भारत-पाकिस्तान बॉर्डर से लगभग एक किलोमीटर दूर है और गुरदासपुर जिले में आता है। माना जाता है कि बाबा नानक यहां 12 साल तक रहे। मक्का जाने पर उनको दिए गए कपड़े यहां संरक्षित हैं।