
धरती हमारी मां है, धरती हमारी जननी है और प्रकृति हमारा जीवन है। प्रकृति के बिना मनुष्य का जीवन संभव नहीं है। प्रकृति से हम कितना कुछ लेते हैं, लेकिन बदले में हम क्या करते हैं? प्रदूषण, दोहन…? विकास और आधुनिकता की दौड़ में हम पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। पर्यावरण को लेकर लोगों में जागरुकता लाने के लिए हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
विश्व पर्यावरण दिवस का इतिहास
विश्व पर्यावरण दिवस की स्थापना 1972 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा ह्यूमन एनवायरनमेंट पर स्टॉकहोम सम्मेलन (5-16 जून 1972) में की गई थी, जिसमें 119 देशों में हिस्सा लिया था। सभी ने एक धरती के सिद्धांत को मान्यता देते हुए हस्ताक्षर किए। इसके बाद 5 जून को सभी देशों में ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ मनाया जाने लगा। भारत में 19 नवंबर 1986 से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ।
विश्व पर्यावरण दिवस 2022 की थीम
इस बार विश्व पर्यावरण दिवस 2022 की थीम ‘Only One Earth- Living Sustainably in Harmony with Nature’ है।
विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का उद्देश्य
विकास के साथ दुनियाभर में पर्यावरण को नुकसान भी पहुंचाया जा रहा है। वन और जंगल नष्ट किए जा रहे हैं, नदी और झरनों का रुख बदला जा रहा है। जिसकी वजह से पूरी दुनिया में प्रदूषण का लेवल बढ़ रहा है। प्रकृति को होने वाले नुकसान को कम करने को लेकर जागरुकता अभियान चलाने के लिए पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिन लोगों से प्रकृति को प्रदूषित होने से बचाने की अपील की जाती है।
भारत में खोजे गए कुछ खास जीव
भारत में बीते तीन सालों में कुछ खास जीव खोजे गए। इन जीवों का संरक्षण इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यहां से खत्म होने के बाद ये धरती पर शायद कभी नहीं मिलेंगे।
कैलियोप
जापान, कोरिया और चीन में बिरले नजर आने वाली यह दुर्लभ चिड़िया अंडमान निकोबार में पहली बार नजर आई। वैज्ञानिक एसोसिएशन के वैज्ञानिकों ने इसके भारत में मिलने की पुष्टि की।
रंगीला ड्रैगन फ्लाय
केरल के कोल्लम में शेंदुर्नी वन्यजीव अभयारण्य से तीन तरह के ड्रैगन फ्लाय तलाशे गए। इनमें प्रोटोस्टिकटा साइनोफेमोरा को नीले रंग की वजह से सबसे विलक्षण पाया गया।
जूथेरा सिट्रिन
नारंगी सिर की इस चिड़िया को भारत में खत्म मान लिया गया था। अचानक यह अंडमान निकोबार द्वीप में नजर आई। जर्नल ऑफ अंडमान साइंस एसोसिएशन ने 2020 में इस पर रिपोर्ट जारी की।
बिच्छू…जो हिमाचल और उत्तराखंड में मिले
हिमाचल और उत्तराखंड सहित नेपाल में 9 नई प्रजातियों के बिच्छू दर्ज किए गए। इन्हें चेक गणराज्य के वैज्ञानिकों के नाम पर स्कॉर्पियोप्स कोवारिक ग्रोसेरी, केजवली और ट्रइज्नाई के तौर पर पहचान दी गई।
इस सांप को हैरी पॉटर सीरीज के कैरेक्टर से मिला नाम
अरुणाचल प्रदेश में ट्रामेरेसुरुज सालाजार सांप को वन्य जीव विशेषज्ञ अयाज मिर्जा ने खोजा। इसे हैरी पॉटर सीरीज के एक कैरेक्टर सालाजार स्लिथरीन के नाम पर पहचान दी गई।
6 बंगाल की खाड़ी से नई मछली
भारतीय वैज्ञानिकों ने बंगाल की खाड़ी में नई प्रजाति की मछली पैरापर्सिस अन्नामलई योसुवा को खोजा। इसे अन्नामलाई विश्वविद्यालय के नाम पर भी पहचान दी गई।
15,64,647 प्रजातियों के पशु-पक्षी अब तक खोजे गए हैं धरती पर, जो अभी अस्तित्व में हैं।
1,02,718 इनमें से भारत में मिलते हैं।
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