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National Herald Case: सोनिया गांधी से पहले दिन की पूछताछ खत्म… ED ने 25 जुलाई को फिर बुलाया

नेशनल हेराल्ड मामले में आज ED ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से करीब 2 घंटे पूछताछ की। ED ने सोनिया को पूछताछ के लिए 25 जुलाई को  फिर से बुलाया है। वहीं, कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने देशभर में इस पेशी के खिलाफ प्रदर्शन किया। बता दें कि, इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय पहले ही राहुल गांधी से पूछताछ कर चुकी है। आज सोनिया गांधी से भी लगभग वही सवाल पूछे गए जो ED अधिकारियों ने राहुल गांधी से पूछे थे।

पुलिस हिरासत में कांग्रेस के 75 सांसद

नेशनल हेराल्ड मामले में पार्टी कि अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ ईडी की जांच का विरोध कर रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर वाटर कैनन का इस्तेमाल किया गया। वहीं पूछताछ के विरोध में प्रदर्शन कर रहे 75 कांग्रेसी सांसदों को पुलिस हिरासत में ले लिया। इनमें मल्लिकार्जुन खड़गे, शशि थरूर, अजय माकन और पी चिदंबरम भी शामिल हैं। इनके अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को भी हिरासत में लिया गया।

लोकतंत्र को कुचला जा रहा है: सचिन पायलट

हिरासत में लिए जाने के बाद सचिन पायलट ने कहा कि- ‘ देश में एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है। लोकतंत्र में विरोध करना हमारा अधिकार है, लेकिन इसे कुचला भी जा रहा है। लोकतंत्र में विपक्ष की आवाज को दबाने का काम हो रहा है।’

सुरजेवाला बोले- पिठ्ठू ED, डरपोक CBI…

सोनिया गांधी से ED की पूछताछ पर कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि हम ना दबेगें ना झुकेंगे केवल आगे बढ़ेंगे। पिठ्ठू ED, डरपोक CBI और IT ही अब मोदी सरकार का चाल, चेहरा और चरित्र बन गए हैं। प्रतिशोध की राजनीति में धधकते हुए प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार ना कांग्रेस को ना प्रजातंत्र को डरा पाई है ना डरा पाएगी। वहीं, शशि थरूर ने कहा कि ये अन्याय चल रहा है और अन्याय की राजनीति नहीं होनी चाहिए।

ED की टीम राहुल से कर चुकी है 40 घंटे की पूछताछ

इससे पहले जून के मध्य में ईडी ने राहुल गांधी से लगातार पांच दिनों तक पूछताछ की थी। ED ने उनसे करीब 40 घंटे की पूछताछ की थी। इस दौरान भी कांग्रेस नेताओं ने जमकर प्रदर्शन किया था। सोनिया गांधी को भी जून में समन किया गया था, उन्हें 8 जून को पेश होना था। लेकिन खराब सेहत का हवाला देकर उन्होंने आगे की तारीख मांगी थी। ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को जांच में शामिल होने के लिए पेश होना पड़ रहा है।

क्या है नेशनल हेराल्ड केस?

लगभग 10 साल पुराने इस केस की जड़ें आजादी से पहले निकले एक अखबार से जुड़ी हैं। जिसे जवाहर लाल नेहरू ने निकाला था। इस केस में करोड़ों रुपए की जायदाद पर मालिकाना हक का विवाद है।

कांग्रेस नेताओं पर घाटे में चल रहे नेशनल हेराल्ड अखबार को धोखाधड़ी और पैसों की हेराफेरी के जरिए हड़पने का आरोप है।

क्या है नेशनल हेराल्ड?

20 नवंबर 1937: देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने को एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड यानी AJL का गठन किया था। इसका उद्देश्य अलग-अलग भाषाओं में समाचार पत्रों को प्रकाशित करना था। तब AJL के अंतर्गत अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज समाचार पत्र प्रकाशित हुए।

  • AJL पर मालिकाना हक कभी भी प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू का नहीं रहा। इस कंपनी को 5000 स्वतंत्रता सेनानी सपोर्ट कर रहे थे और वही इसके शेयर होल्डर भी थे।
  • 90 के दशक में ये अखबार घाटे में आने लगे। साल 2008 तक AJL पर 90 करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज चढ़ गया। तब AJL ने फैसला किया कि अब समाचार पत्रों का प्रकाशन नहीं किया जाएगा। अखबारों का प्रकाशन बंद करने के बाद AJL प्रॉपर्टी बिजनेस में उतरी।
  • 2010 में AJL के 1057 शेयरधारक थे। घाटा होने पर इसकी होल्डिंग यंग इंडिया लिमिटेड यानी YIL को ट्रांसफर कर दी गई। यंग इंडिया लिमिटेड की स्थापना उसी वर्ष यानी 2010 में हुई थी।

यंग इंडिया लिमिटेड का हिस्सा कौन था?

इसमें तत्कालीन कांग्रेस पार्टी के महासचिव राहुल गांधी डायरेक्टर के रूप में शामिल हुए। कंपनी में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी के पास रखी गई। शेष 24 फीसदी कांग्रेस नेताओं मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस (दोनों का निधन हो चुका है) के पास थी।

क्या है विवाद?

शेयर ट्रांसफर होते ही AJL के शेयर होल्डर्स सामने आ गए। पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण, इलाहाबाद व मद्रास उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू सहित कई शेयरधारकों ने आरोप लगाया कि जब YIL ने AJL का ‘अधिग्रहण’ किया था तब उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया था। यही नहीं, शेयर ट्रांसफर करने से पहले शेयर होल्डर्स से सहमति भी नहीं ली गई। बता दें कि शांति भूषण और मार्कंडेय काटजू के पिता के नाम पर AJL में शेयर था।

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2012 में सुब्रमण्यम स्वामी ने दर्ज कराया था मामला

भाजपा के नेता और देश के नामी वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस, पत्रकार सुमन दुबे और टेक्नोक्रेट सैम पित्रोदा के खिलाफ मामला दर्ज कराया। तब केंद्र में कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार थी।

सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया कि YIL ने 2,000 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति और लाभ हासिल करने के लिए “गलत” तरीके से निष्क्रिय प्रिंट मीडिया आउटलेट की संपत्ति को “अधिग्रहित” किया।

स्वामी ने यह भी आरोप लगाया कि YIL ने 90.25 करोड़ रुपए की वसूली के अधिकार हासिल करने के लिए सिर्फ 50 लाख रुपए का भुगतान किया था, जो AJL पर कांग्रेस पार्टी का बकाया था। यह राशि पहले अखबार शुरू करने के लिए कर्ज के रूप में दी गई थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि AJL को दिया गया कर्ज “अवैध” था, क्योंकि यह पार्टी के फंड से लिया गया था।

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